सट्टे बाजों से वसूली फिर भी शिकंजा जरूरी – स्कीम देकर नम बना है सट्टा किंग।

सट्टा तो वह खर-पतवार है जो अच्छे बीजों के बीच में उग जाते हैं और अगर उसे उखाड़ न फेंके तो वो अपना स्थान बनाते जाते है और बढ़ते जाते हैं।
सट्टा बाजार के कुछ दबे छुपे लोगों में वर्तमान में एक चर्चा आम हो रही थी। विषय था कि स्थानीय खाकी तक पैसा पहुंच गया फिर भी पुलिस ने धर दबोचा। खुल कर कोई जुबान खोल नहीं रहा लेकिन कानाफूसी में चलने वाली बात तो सट्टा चौराहों पर चल रही है।
सट्टा लोगों की जुबानी झाबुआ में जो शख्स कोतवाली प्रमुख के लिए वसूली करता है वह दो दिन पहले ही वसूली कर के गया था और सब निश्चिंत थे कि पुलिस ने आ कर फिर पकड़ लिया।
जब आपसी चर्चा की गई तो जो शख्स हमेशा पैसा ले कर जाता है वह 7 मार्च को स्वयं को छुट्टी पर होना बताया।
हालांकि पुलिस से झिकझिक कौन करे मगर नुकसान पैसों का भी और नाम का भी हो गया।

इससे साबित यह होता है कि पुलिस को हर वो जगह पता है जहा पर अवैध कार्य होते है और सट्टे जुएं के सम्बंध में तो खाकी सारा सत्य जानती है मगर माया के जाल में जकड़ी खाकी देख कर अनदेखा करती है। लोग तो इस बात का भी अंदेशा लगा कर बात कर रहे है कि वसूली शख्स ने बीते तीन थाना प्रभारियों के साथ सेवा दी है उसे सब कुछ जानकारी है तो वह बहुत से कार्य ऐसे भी कर जाता होगा और आगे साहब को कुछ नहीं बताता होगा। नाम लेकर वसूली कर आधा धन जेब में अंटी कर लेता होगा क्यूंकि कुर्सी पर बैठा साहब किसी को पूछने तो जा नहीं रहा।

बहरहाल, बात बात की बात में बात बताई जाती है झाबुआ शहर में खुद को सट्टा किंग बताने वाले आपराधिक प्रवृत्ति को पुलिस देख कर भी नहीं देख रही है जिसकी जानकारी बहुत जल्द ही अपराधों के साथ प्रस्तुत की जाएगी, जिससे शहर पुलिस उसे पकड़ने में नखरे कर बहाने बनाएगी भी तो उसे शिकंजा तो कसना ही होगा।

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