हर कोई नवागत पुलिस कप्तान से मुलाकात की दौड़ में – चापलूसी कर व्यक्ति अपनी विशेषता की देगा पहचान।पुलिस महकमें में बदलाव की आशंका।

शेक्सपियर ने लिखा था नाम में क्या रखा है और उसी लाइन के नीचे अपना नाम लिख दिया था। जिले में ताजा-ताजा एसपी आए है जिनसे मिलने के लिए अपनी पहचान कायम रखने के लिए हर कोई चाहे वह समाज सेवक हो या उद्योग पति या अवैध व्यवसायी या फिर प्रतिष्ठावान या पत्रकार या जिले के असंख्य नेता, नये एसपी से मिलने के लिए अपना अपना समय निर्धारित कर मुलाकात करेंगे। ये सभी व्यवाहारिक रुप से मिलने पर इस तरह जिले की समस्याओ को बताएंगे जैसे वर्षो से समस्याओ से जुझ रहे हो। समाजसेवी और नेता या अन्य समूह, बढ़चढ़ कर समस्याओ का बखान करेंगे और समस्याओ की उपरी परत दिखा कर ऐसा दर्शाएंगे कि उन समस्याओ की बारीकी जानकर उसकी तह तक पहुंच गये है फिर जब समाधान की और देखने की बारी आएगी तब समझा करो साहब कहते ठहका लगते हुए उन समस्याओ को समय पर छोड़ देंगे। लगभग सभी प्रकार के समूह का मिलना ऐसा ही रहेगा। कुछ शिकायते भी दर्ज करवाएगे। एक वर्ग सदैव सहयोग की बात करते हुए सामाजिक जगत की बदहाल व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाकर वार्तालाप को जारी रख आपसी सहयोग के ईशारे पर बातचीत मोड़ देगा।
समाज में शराब, सट्टा जुआ, ड्रग्स का नशा, चोरी शराब तस्करी, अन्य अपराध पर जिस तीव्रता से चर्चा होगी उसी तीव्रता से चर्चा समाप्त भी होगी।
हांलाकि नये एसपी जिले से अंजान हो सकते है मगर अपरिचित नहीं बहुत सी बातों को समझ कर जिले के पुलिस कप्तान बन कर यु ही तो नहीं आ गये।
बहरहाल बात तो मुलाकात तक ही सीमित रहेगी फिर समझ कर नये एसपी कार्य में प्रगति ला कर स्वयं का वर्चस्व काबिज करेंगे।
नये साहब को धोग देने तो महकमें के कर्मी भी आएगे। अब यहा नये एसपी को नये बदलाव की आवश्यकता होगी। अगर बदलाव सही दिशा में हो गये तो सीधे नेताओ की चिमटी होगी जिसके लिए सीमा की तरफ देखना जरुरी होगा।

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