साहस, शौर्य और शक्ति का प्रतिमान और मुग़लों को धूल चटाने वाली अमर बलिदानी रानी दुर्गावती।

भारत वर्ष की वीरांगना में से एक महान रानी दुर्गावती जिसने मालवा पर कब्जा करने वाले बाज बहादुर, दिल्ली के सुल्तान शेरशाह सूरी और मुगल बादशाह अकबर को युद्ध के मैदान में नाकों चने चबवा दिए थे या यूं कहें कि युद्ध के मैदान में धूल चटा दी थी। रानी दुर्गावती अपने नाम के अनुरूप ही शक्तिशाली, तेज, शौर्य और साहस का प्रतिमान थी।

राजा दलपत शाह की महारानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 में बुंदेलखंड के कालिंजर में गोंड प्रजाति में हुआ था, भारत देश की इस वीरांगना ने युद्ध के मैदान में अच्छे अच्छे मुगल बादशाह को धूल चटा दी। वीरांगना रानी दुर्गावती ने अपने विवाह के पूर्व वर्ष 1545 में दिल्ली के सुल्तान शेरशाह सूरी को कालिंजर में पराजित कर मार गिराया था। इसके बाद वीरांगना दुर्गावती ने गढ़मंडला की महारानी के रूप में मालवा के सूबेदार बाज बहादुर को दो बार पराजित कर उसकी राज्य को नेस्तनाबूत कर दिया था।

भारत देश की वीरांगना रानी दुर्गावती को वर्ष 1564 में मुगल सेना ने धोखे से परास्त करने की कोशिश की मगर दुर्गावती ने मुगल सेना के सामने झुकने से मना कर दिया और अपनी स्वतंत्रता सम्मान और अस्मिता के लिए युद्ध भूमि को चुना। इस युद्ध भूमि में घायल रानी दुर्गावती ने परतंत्रता को समाप्त कर स्वयं की कटार से अपने सीने पर प्रहार कर आत्मोत्सर्ग कर दिया।

अमर बलिदानी वीरांगना रानी दुर्गावती को शत शत नमन।

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