कमलनाथ कांग्रेस में यथावत, नकुल नाथ की अंदरुनी सरकन जारी।
फरवरी में राजनीतिक उठापटक के दौर में कांग्रेस के कद्दावर नेता कमलनाथ अपने बेटे के साथ कांग्रेस छोड़ने का मन बना कर दिल्ली तक पहुंच गए लेकिन भाजपा हाईकमान ने साफ साफ मना कर दिया है। कमलनाथ ने फिर से पासे फेंक कर कांग्रेस में राहुल गांधी की यात्रा में शामिल होकर जिम्मेदार बन रहे हैं।
अब कांग्रेसी मनोविज्ञान जीत बता रहे हैं, दिग्विजय सिंह का कहना है की कोहरा साफ हुआ है, कमलनाथ के करीबी सज्जन सिंह ने भी अपने बयान में स्पष्टीकरण दिया। कांग्रेसियों का कहना है कि जिसने राजनीति की शुरूआत इंदिरा गांधी के करीबी होकर की वो भाजपा में बिल्कुल भी नहीं जाएगा कांग्रेसी तो यह भी कह गए कि यह सारी बातें तो अफवाह की तरह उड़ाई जा रही है मगर सत्य सभी समझ रहे है कि कमलनाथ स्वयं को बचाने के लिए भाजपा की ओर कदम बड़ा रहे हैं।
भाजपा में कमलनाथ को लेकर पूर्ण रूप से असंतोष है इसलिए भाजपा हाईकमान ने ब्रेक लगा दिया है।
सिख नेताओं का कहना है कि 1984 के सिख दंगो के आरोपी को भाजपा में नहीं आने दिया जाना चाहिए। कमलनाथ के भाजपा में जाने से पुरा सिख समुदाय नाराज हो जाएगा जिसके नुकसान को भाजपा समझ सकती है।
हांलाकि, नकुल नाथ इन दिनों सुर्खिया बटोर रहे हैं और धीरे-धीरे भाजपा की तरफ बढ़ रहे हैं लेकिन विचारणीय बात है कि यदि नकुल नाथ भाजपा में शामिल हो गए तो क्या कमलनाथ को उसके आरोपो की सजा मिलेगी। एक छत के नीचे दो पार्टी के नेता होगे तो गोपनियता बरकरार रहेगी।
जी नहीं बिल्कुल भी नहीं।
बहरहाल भाजपा में कांग्रेस के घुसपैठ को भाजपा को समझना चाहिए। जिसके रक्त के एक एक कण में कांग्रेस बसी हुई हो क्या वह भाजपा की विचारधारा से सहमत होने आ रहा है या स्वार्थ सिद्धी के लिए।