देश द्रोही की सूचना सहायता से अंग्रेजों ने दी थी चंदु को फांसी।

केरल के वायनाड में तोंडूरनाड़ में जन्मे तलक्कल चंदु कुरुचिया जनजातीय के वीर बलिदानी थे जिनका शौर्य अद्भुत था। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में वायनाड के कुरचिया जनजाति का योगदान अद्वितीय और अविस्मरणीय रहा है। इतिहास के इस स्वर्णिम पृष्ठ को जोड़ने में कुरुचिया जनजाति ने अंग्रेजों से युद्ध करने में केरल के पड़ोसी राजा के साथ पूर्ण योगदान दिया था। अद्भुत शौर्यवान वीर जनजाति सेनानी तलक्कल चंदु ने अपने पराक्रम से अंग्रेजों को परास्त कर पनमरम किले को अपने अधिकार में ले लिया था।
इतिहास साक्षी है कि अंग्रेज कभी भी शूरवीर चंदु को युद्ध में सीधे कभी भी परास्त नहीं कर पाए मगर एक देशद्रोही संबंधी ने लालच में आ कर अंग्रेजों की सहायता की और चंदु की सूचना दी। देशद्रोही की सूचना पर पकड़े गए चंदु को पनमरम के किले में ही फांसी पर लटका कर मार दिया गया।

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