पंचायत में खारिज किया था फॉलेन आउट फिर कैलेंडर जारी क्यों

अतिथि विद्वानों के पदों को भरा हुआ मानें मोहन सरकार
माह के अंत तक उच्च शिक्षा विभाग सहायक प्राध्यापक, प्राध्यापक, ग्रंथपाल और क्रीड़ा अधिकारियों के स्थानांतरण से अतिथि विद्वानों को बेरोजगार करने की तैयारी कर रहा है। इन्हे फॉलेन आउट करके जून माह में दो चरणों में च्वाइस फिलिंग करवाने का कैलेंडर विभाग निकाल चुका है।

80 रूपए कालखंड दर से प्रदेश के विद्याथिर्यों का भविष्य गढ़ने वाले अब खुद के भविष्य को लेकर चिंतित है। 68 प्रधानमंत्री कॉलेजों के अतिथि विद्वान तो एक – एक पल मुश्किल से निकाल रहे हैं। क्या पता कब इस माह में उनका रोज़गार या मुंह का निवाला छीन जाएं। इसी डर से इनका परिवार भी दुखी है। 616 सहायक प्राध्यापकों का दिसंबर 2024 से रिडिप्लायमेंट के कारण यह स्तिथि निर्मित हो रही है।
पीएम कॉलेज झाबुआ के प्राचार्य ने तो तीन एकल पद से आए सहायक प्राध्यापकों को भी रोक रखा है। जबकि आयुक्त उच्च शिक्षा ने इन्हें वापस भेजने का आदेश रिडिप्लायमेंट वालों की ज्वाइनिंग से पहले ही डाल दिया था। अनेकों शिकायती प्राध्यापकों ने भी रिडिप्लायमेंट करवा लिया था।
जबकि अतिथि विद्वान अध्यापन कार्य के अलावा महाविद्यालय की हर समित जैसे मूल्यांकन, परीक्षा ड्यूटी, रूसा, एनएसएस आदि में भी भागीदारी निभाते हैं। अधेड़ उम्र होने से एमपीपीएससी की परीक्षा पास करना इनके लिए मुश्किल कार्य हो गया है। एक वर्ष अनुभवी और 20 वर्ष अनुभवी को उच्च शिक्षा विभाग ने एक समान 25 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया है। 10 प्रतिशत बोनस अंक का आदेश भी अब तक जारी नहीं किया है। इनकी मांग है कि हरियाणा, उप्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल आदि की तर्ज पर ही भविष्य सुरक्षित कर दीजिए।
मध्य प्रदेश अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुरजीत सिंह भदौरिया ने बताया कि – पिछली बीजेपी सरकार में आयोजित पंचायत की आधी से ज्यादा घोषणाएं अब तक पूरी नहीं हुई है। वर्तमान के सीएम डॉ. मोहन यादव पिछली सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री थे। जिन्हें हमारी पीड़ा अच्छी तरह से पता है। फिर भी हमारी जगह दिसंबर 2024 में रिडिप्लायमेंट और अब स्थानांतरण की तैयारी की जा रही है।
संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी शंकरलाल खरवाडिया ने भी इस बारें में कहा कि -अतिथि विद्वानों के पदों को भरा हुआ माना जाना चाहिए और जो पीएम कॉलेजों में हमारी जगह जिन सहायक प्राध्यापकों का रिडिप्लायमेंट किया गया हैं उन्हें अन्य महाविद्यालय में स्थानांतरित कर देना चाहिए। जिससे हमारा रोजगार भी चलता रहेगा। जब पंचायत में फॉलेन आउट का खेल ही खारिज कर दिया था, तो अब फॉलेन आउट का कैलेंडर क्यों जारी किया गया।

One thought on “पंचायत में खारिज किया था फॉलेन आउट फिर कैलेंडर जारी क्यों

  1. अपने 20 वर्षों के कार्यकाल में भी भाजपा सरकार ने 20 से 25 वर्षों से कम वेतन पर सेवा दे रहे अतिथि विद्वानों का भविष्य सुरक्षित नहीं किया सिर्फ चुनाव के समय नियमितीकरण का वादा किया और चुनाव जीतने के बाद अनदेखा किया यह हकीकत है मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार की माननीय प्रधानमंत्री जी राज्यों की तरफ भी देखिए न्याय नहीं मिल रहा… प्रजा को

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