निर्दयी पिता की क्रूरता- 18 दिन की मासूम को कांटोभरी झाड़ियो में फेका।
इंदौर में एक व्यक्ति ने अपनी 18 दिन पहले जन्मी दूसरी बेटी को कांटो से भरी झाड़ियो में फेक दिया। मां नहाकर आई तो बिटिया नहीं दिखी उसने ढूंढा और सीधे पुलिस के पास गई पुलिस ने सीसीटीवी केमरे में देखा तो पिता झोला लेकर जाता हुआ दिखा। तलाशी ली तो जेब से मौजा मिला पुलिस ने सख्ती से पुछा तब उसने स्वीकार किया, तुंरत पुलिस ने सर्चिंग की और बेटी को मां के हाथों में सुरक्षित सौंप दिया।
ऐसे निर्दय पिता के मन में भरी क्रूरता का कारण क्या हो सकता है। बच्ची मिल जाने पर मां ने कह दिया कि इसके पिता की गलती नही है यह सब उनसे अंजाने में हो गया।
लेकिन ऐसी गलती कैसे हो गई।
मनोविज्ञान के अनुसार बेटे की चाह और आर्थिक तंगी के चलते पति-पत्नी में विवाद, पत्नी का बात-बात पर टोकना और बच्चों की परवरिश को लेकर सवालिया संदेह करना हो सकता है। यह भी हो सकता है कि बच्ची के पालन-पोषण की नोकझोंक में सामाजिक परम्पराओं के निर्वहन की जिम्मेदारी का बोझ विचार के माध्यम से इतना गहरा प्रभाव डाला कि पिता रोहित यादव अपनी ही बेटी को अपनो से दूर करने ठान ली।
बहुत से समाज में बेटी का होना अभिशाप मानते है जिसका कारण सदियो पहले जो जुल्म सहे उसका परिणाम है। सामाजिक परम्पराओं का दंश भी मानसिकता को छिन्न-भिन्न कर देता है।
हालांकि स्त्री-पुरुष के युग्म से पुत्र का जन्म हो या पुत्री का, उसका उत्तरदायी पुरूष ही होता है।
बहरहाल निर्दय पिता को अपनी क्रूरतापूर्ण मानसिकता को समाप्त करनी होगी जिसमें सहयोगी के रूप में पत्नी और परिजनो को भी आगे आना होगा। समझना होगा आज हम किस स्थिति में है।