समोई में दुसरी शताब्दी के अवशेष- सर्वे कर योगेश पाल ने ऐतिहासिक प्रमाणों को प्रकाश में लाया गया। भगवान विष्णु और माता महिषासुर मर्दिनी की भी खण्डीत मुर्ति प्राप्त हुई। अतिप्राचीन बाबा देव से भी मिल सकते पुरातत्व के अवशेष।

9 Mar 2022

ध्रुव जोशी,

झाबुआ जिले की रानापुर तहसील के ग्राम समोई में दुसरी शताब्दी के अवशेष प्राप्त किये गये हैं। इस कार्य के लिये पुरातत्व विभाग के योगेश पाल ने डॉक्टर रमेश यादव पुरातत्वीय अधिकारी के निर्देशन में किया गया। 

पुरातत्ववेत्ता योगेश पाल ने बताया कि, विभाग द्वारा प्राचीन स्थलों के सर्वेक्षण और उनकी साफ सफाई का कार्य किया जा रहा है। जिसमें झाबुआ जिले के ग्राम समोई में दुसरी शताब्दी ईसवी के मंदिर भवन जो की ईट निर्मित पुरावशेष मिले।

पुरातात्व विभाग के योगेश पाल ने बताया विभाग द्वारा कराए जाने वाले ग्राम से ग्राम पुरातत्वीय सर्वेक्षण में समोई ग्राम में प्राचीन टीला प्रकाश में आया था। जिसके पश्चात यहा का मलवा सफाई कार्य किया गया। 

प्राचीन टीले से ऐतिहासिक काल के प्रमाण प्रकाश में आये है।  इस स्थल पर खुदाई में पकी हुई ईंट से निर्मित मंदिर/ भवन के भग्नावशेष प्राप्त हुए है। यहाँ पर छः कक्ष मिले जो ईंट से निर्मित है। 

सभी कक्षो की दीवारों की मोटाई अलग अलग है जिनमे मुख्य कक्ष की दीवार की मोटाई एक मीटर तक है। विभिन्न कमरों के आकार भी भिन्न भिन्न है। 

यहाँ से प्राप्त भग्नावशेषों के भवन की एक दीवार पर ब्राह्मी लिपि का एक लेख भी उत्कीर्ण है। साथ ही यहाँ विष्णु एवं महिषासुर मर्दिनी की खंडित अवस्था मे मूर्तियाँ भी प्राप्त हुई है। अध्ययन से यह कहा जा सकता है कि प्राप्त अवशेष दूसरी शताब्दी ईसवी के अनुमानित हैं। 

योगेश पाल ने बताया कि प्राचीन काल से ही झाबुआ एवं अलीराजपुर क्षेत्र व्यापारिक मार्ग रहे हैं। सर्वेक्षण में जिले से शैलचित्र, प्राचीन टीले, मंदिर आदि बहुतायात में प्राप्त हुए है। ऐसे में जनजातीय क्षेत्र से उक्त पुरासम्पदा प्राप्त होने का अर्थ है कि यहाँ का समाज भी मुख्यधारा में शामिल रहा होगा। 

यहाँ उल्लेखनीय बात यह भी है कि समोई में ही जनजातीय समाज का अतिप्राचीन स्थल बाबा देव भी है। ओर अधिक अध्यन से बाबा देव एवं प्राचीन बस्ती आदि के बारे में जानकारी निकल कर आना निश्चित है।

हालांकि, संचालनालय पुरातत्व अभिलेखागार एवं संग्रहालय मध्यप्रदेश भोपाल द्वारा ग्राम समोई में वैज्ञानिक प्रविधि द्वारा आयुक्त पुरातत्व के आदेशनुसार पूरे प्रदेश भर में सर्वेक्षण करवाया जा रहा हैं। प्राचीन स्थलों की जांच की जा रही हैं। जिसमें लगातार पुराने मंदिर और भवन के अवशेष प्राप्त किये जा रहे हैं। 

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