संकट की स्थिति में अतिथि विद्वान- स्थल परिवर्तन पर हाइकोर्ट की रोक।
” हाइकोर्ट इंदौर ने उच्च शिक्षा विभाग को दिया चार सप्ताह का समय “
” चॉइस फिलिंग में अतिथि विद्वानों को मिल रहे थे अन्य ज़िले व संभागों में रिक्त पद “
” अतिथि विद्वान आ गए हैं संकट की स्थिति में “
हाइकोर्ट इंदौर ने एमपी के 55 सरकारी व 13 स्वशासी प्रधानमंत्री कॉलेज आफ़ एक्सीलेंस में कार्यरत अतिथि विद्वानों के 17 जनवरी 2025 के स्थल परिवर्तन आदेश पर स्टे ( स्थगन ) दे दिया है। तथा प्रतिवादियों को एक सप्ताह में प्रक्रिया शुल्क जमा करने का आदेश भी दिया है।
अतिथि विद्वान डॉ. नगीन खेड़दे और अन्य के याचिकाकर्ता वकील आशीष चौबे और राज्य सरकार के वकील विशाल सिंह पंवार की उपस्थिति में 23 और 24 जनवरी को सुनवाई हुई। जिसमें सरकारी वकील द्वारा उचित उत्तर प्रस्तुत नहीं करने के कारण रिट याचिका क्रमांक 2703/2025 द्वारा उच्च शिक्षा विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी और अन्य को आगामी चार सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने का समय हाइकोर्ट की सिंगल बेंच ने दिया है। 17 जनवरी के पारित आदेश को हाइकोर्ट के अगले आदेश तक लागू नहीं किया जाएगा।

वास्तव में 17 दिसंबर 2024 को प्रदेश के अन्य महाविद्यालयों के 616 नियमित प्रोफेसरों का 68 पीएम कॉलेज आफ़ एक्सीलेंस में आगामी दो माह के लिए रीडिप्लॉयमेंट कर दिया गया था। जिसके कारण अधिकतर कार्यरत अतिथि विद्वानों को अतिशेष की स्थिति में ला दिया गया हैं। पीएम जबलपुर, इंदौर आदि में तो अतिशेष रीडिप्लॉयमेंट भी कर दिए गए हैं। वहीं कमिश्नर के आदेश के बावजूद पीएम कॉलेज झाबुआ में अभी भी एकल पद से आए इतिहास, राजनीति विज्ञान और वाणिज्य विषय के सहायक प्रोफेसरों को प्राचार्य ने संबंधित कॉलेज हेतु कार्यमुक्त तक नहीं किया है।
मध्य प्रदेश अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी शंकरलाल खरवाडिया ने इस संबंध में बताया है कि – उच्च शिक्षा विभाग के दबावपूर्ण आदेश से अतिथि विद्वान संकट की स्थिति में आ गए हैं। अतिथि विद्वानों की चाॅइस फिलिंग में नजदीकी कॉलेज नहीं खोले गए हैं। रीडिप्लॉयमेंट से पिछला कॉलेज और पीएम दोनों जगह पद भरा हुआ माना जा रहा है। ऐसी स्थिति में वर्षों से कार्यरत अतिथि विद्वान कहां जाएंगे। अनेकों पीएम कॉलेज में अतिथि विद्वानों को छोड़कर जो रिक्त पद थे, उन पर रीडिप्लॉयमेंट नहीं किया गया है। यानि जहां ज़रूरत थी, वहां अब भी विद्यार्थियों को शिक्षा से वंचित रहना पड़ रहा है।