शहर में लगे कचरे के ढेर- गंदगी में खो गए स्वच्छता के दावे।

संदीप वास्कल।
स्वच्छ भारत अभियान के तहत स्वच्छता सर्वेक्षण में गंदगी से मुक्त शहर व रैंकिंग में सुधार की कवायद चल रही है,मगर जगह जगह पसरी गंदगी इन दावों की पोल खोल रही है।
शहर के विभिन्न वार्डों, क्षेत्र, चौराहों पर कचरे और गंदगी के ढेर लगे हैं। नगर पालिका के स्वच्छता अभियान की वास्तविक तस्वीर सामने आ रही है, मुख्य सड़क सहित कई गलियों, चौराहों और सार्वजनिक स्थानों पर सफाई व्यवस्था बदहाल नजर आ रही है।
पीजी गर्ल्स कॉलेज हॉस्टल की भी दयनीय स्थिति
गोपाल कॉलोनी में स्थित पीजी गर्ल्स कॉलेज हॉस्टल के ठीक पीछे कचरे और गंदगी को देखकर लगता हे कि स्वच्छ भारत अभियान का महज मजाक बनकर रह गया हो। क्योंकि गंदगी को देखकर यही प्रतीत होता है, ऐसे में सवाल यह उठते हैं कि परिसर का अपना एक प्रबंधन होता हे साफ सफाई का उसमें जिम्मेदार लोग कचरे और गंदगी को देखने के बावजूद आंख मिचौली क्यों खेल रहे हे और नगर पालिका के जिम्मेदार कर्मचारी भी बेखबर है।
वार्डों में समय पर गाढ़ी न पहुंचना बढ़ी समस्या
रहवासियों का कहना हे कि कई वार्डों में कूड़ा कचरा उठाने वाले वाहन समय पर नहीं पहुंचते हैं। सड़ते हुए कचरे से गंदगी से मच्छरों की संख्या बढ़ गई है,गंदगी से फैलने वाली दुर्गंध और मच्छरों से होने वाली बीमारियों का डर सता रहा हे।
साप्ताहिक बाजार में सैकड़ों दुकानें संचालित का मुख्य स्थान सब्जी मंडी
शहर के मुख्य स्थानों में से एक सब्जी मंडी को भी मुख्य स्थान कहा जा सकता है क्योंकि इसमें हर रविवार को सैकड़ों दुकानों का संचालन किया जाता है। इसमें झाबुआ के अलावा बाहर से भी अन्य छोटे बड़े शहरों से व्यवसायों का आना होता हे। और झाबुआ से सटे आस पास गांव फलियों से भी हजारों की तादात में ग्रामीणों का आना होता है। ऐसे में कई सवाल खड़े होते हैं, कि नगर पालिका के जिम्मेदार कर्मचारियों की नींद क्यों नहीं खुलती अगर खुलती हे तो फिर जगह जगह इतनी गंदगी क्यों पसरी पड़ी है। जबकि एक दिन बाद सबेरे सब्जी मंडी से कचरा उठाया जा सकता हे और सब्जी मंडी व आस पास के क्षेत्र को गंदगी और कचरे से मुक्त किया जा सकता है।

पर्याप्त बजट आवंटित सफाई के लिए
सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान के तहत नगर पालिका और हर वार्ड में सफाई के लिए विशेष बजट आवंटित किया जाता है। लेकिन शहर में कचरे और गंदगी को देखकर कथनी और करनी में दावे स्पष्ट नजर आ रहे हैं।हालांकि,स्थिति यह हे कि वार्ड स्तर पर इस बजट का सही उपयोग नहीं हो रहा है।