मैडम’ शब्द के इतिहास एवं उसके प्रचलन की कहानी।

बांगरू-बाण* श्रीपाद अवधूत की कलम से…

वर्तमान समय में ‘मैडम’ यह संबोधन भारत में सभ्य महिला या शिक्षिका के लिए प्रयुक्त होता है। सामान्य बोलचाल में घर के पुरुष घर की महिलाओं को ‘मैडम’ कह कर के ही बुलाते हैं। लेकिन इन्हें ‘मैडम’ शब्द का घिनौना स्वरूप या असली अर्थ पता नहीं है तो आज हम ‘मैडम’ शब्द पर ही चर्चा करेंगे।

अंग्रेजी का शब्द है ‘मैडम’ (MADAME)। भारत में ‘मैडम’ शब्द का अर्थ जान लेना बहुत जरूरी है, क्योंकि अंग्रेज हिंदी भाषा के महत्व को खत्म करने के लिए सोची-समझी रणनीति के तहत आम जनमानस के बीच ऐसे शब्दों को प्रचलित कर दिया करते थे। इसका परिणाम यह हुआ कि अंग्रेजी के कुछ ऐसे शब्द, जिनका अर्थ कुछ और ही होता है उन्हें प्रचलित कर दिया गया है। वहीं शब्द आज हिंदी में बिना उनके सही अर्थ जाने आमजनमानस के द्वारा हिंदी की तरह उपयोग किए जा रहे हैं।

‘मैडम’ (MADAME) शब्द का मतलब… अंग्रेजी भाषा का एक शब्द है, ‘मैडम’ (MADAME) जो कि फ्रेंच भाषा से लिया गया है MADAME दो शब्दो MA+ DAME से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है । MA = मेरा/मेरी और DAME का अर्थ होता है महिला/स्त्री/औरत। जिसका पूरा अर्थ होता है मेरी महिला या मेरी स्त्री या मेरी औरत।

अब हमें यह समझने वाली बात है कि हर स्त्री मेरी कैसे हो सकती? क्योंकि, भारत में सभी रिश्ते स्पष्ट हैं और भारत में सभी रिश्तों की अपनी अलग व्याख्या और अर्थ हैं।

फ्रेंच भाषा में ‘मैडम’ शब्द का उपयोग वेश्यावृत्ति से जोड़ कर किया जाता है, क्योंकि अंग्रेजी भाषा में दुनिया के ज्यादातर देशों से शब्दों को लेकर सम्मिलित किया गया है। इसी तरह ‘मैडम’ शब्द को भी सम्मिलित। कर लिया गया है। फ्रेंच भाषा में ‘मैडम’ शब्द का उपयोग “कोठा चलाने वाली बाई” के लिए किया जाता है। यानि वो महिला जो “देह व्यापार करने वालों की मालकिन” हो उसे ‘मैडम’ कहा जाता है।

भारत में चलन क्यों?

किसी भी देश की भाषा एवं शिक्षा उस देश की आत्मा मानी जाती है। इस लिए जब अंग्रेजों ने भारत को गुलाम बनाया, तब भारत की संस्कृति, भाषा, ज्ञान आदि को नष्ट करने के लिए भारत में इस तरह के शब्दों का चलन बढ़ाया, जिससे भारत की भाषा एवं संस्कृति को पूरी तरह से समाप्त किया जा सके। लॉर्ड मैकाले ही वह प्रथम व्यक्ति था जिसने इन सब चीजों का अध्ययन करके भारत में सनातनी हिंदुओं के हृदय में अपनी संस्कृति की हीनता को बढावा दिया। लॉर्ड मेकाले ने अपने पिता को लिखे पत्र में यह स्पष्ट रूप से लिखा है कि वह भारत में भारतीय संस्कृति शिक्षा एवं इनके स्वाभिमान को नष्ट करने के लिए आया है। वह उनकी सनातनी शिक्षा के स्थान पर अंग्रेजी या पाश्चात्य शिक्षा के माध्यम से काले अंग्रेजों का निर्माण करेगा। ये काले अंग्रेज़ सनातनी भारतीयता के स्थान पर पश्चिमी भाषा, भूषा, भोजन, संस्कृति व इतिहास को श्रेष्ठ मानेंगे और इसी का प्रचार प्रसार करेंगे।

भारतीय संस्कृति एवं भाषाओं को पूरी तरह से विनष्ट करने के उद्देश्य से 1834 में लॉर्ड मैकाले को गवर्नर-जनरल की एक्जीक्यूटिव काउंसिल का पहला कानूनी सदस्य नियुक्त करके भारत भेजा गया था। लॉर्ड मैकाले 1823 में बैरिस्टर बने जो कि प्रसिद्ध अंग्रेजी कवि, निबंधकार, इतिहासकार और राजनीतिज्ञ भी थे, जिसको अंग्रेजों ने भारत की शिक्षा पद्धति को बिगाड़ कर नई शिक्षा पद्धति बनाने की जिम्मेदारी सौंप थी।

तभी से हमारे देश में इस तरह के शब्दों का चलन आम बोल-चाल में बढ़ाया गया। लॉर्ड मैकाले ने भारतीय शिक्षा पद्धति को बदल कर एक नई शिक्षा पद्धति की शुरुआत की जो कि आज भी भारत में चल रही है।

**भारत की परंपरा क्या रही है?**

भारत में यानी की हिंदी भाषा में श्रीमति और श्रीमान जैसे सम्मानित शब्दों को रखा गया है। चूंकि मैडम शब्द की बात चल रही है तो यह भी स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि हिंदी में उपयोग होने वाले श्रीमति शब्द का अर्थ क्या होता है।

*हिंदी में उपयोग होने वाला* *श्रीमती शब्द दो शब्दों* *श्री और मति से बना है।* *श्री = लक्ष्मी**मति = बुद्धि यानी* *श्रीमति शब्द का उच्चारण करने पर महिला को लक्ष्मी और सरस्वती दोनों के बराबर रख कर संबोधित किया जाता है। लेकिन अंग्रेजों ने श्रीमती जैसे शब्दों का चलन खत्म करके मैडम, मिसेज और बेटर हाफ जैसे शब्दों का चलन शुरू कर दिया जिससे भारत की भाषा एवं संस्कृति को नष्ट किया जा सके।

**होना क्या चाहिए?**

हमें सबसे पहले अंग्रेजी या किसी भी भाषा से आए उस शब्द का उपयोग नहीं करना चाहिए, जिसका हमें अर्थ पता ही नहीं हो। हर समाज में दो तरह के लोग निवास करते हैं। एक शिक्षित वर्ग और एक अशिक्षित वर्ग होता है। शिक्षित वर्ग का यह दायित्व बनता है कि वह जिस शब्द का अर्थ नहीं जानें उसका उपयोग नहीं करें। क्योंकि शिक्षित वर्ग जो करता है, अशिक्षित वर्ग उसे देख कर उसकी ही नकल करता है। इसी के चलते कई बार अर्थ का अनर्थ हो जाता है और शिक्षित वर्ग का यह भी दायित्व बनता है कि जो अशिक्षित हैं और इन शब्दों के बारे में जानते भी नहीं हैं, उन्हें ऐसे शब्दों का अर्थ भी समझाएं।

* *।।अवधूत चिंतन श्री गुरुदेव दत्त।।

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