भाजपा में भया विवाद-आरोप पर आरोप और प्रत्यारोप, विवादित होने पर अध्यक्ष पति ने कहा उस वक्त मिटिंग में था ही नहीं।

1 Aug 2021

बीते शुक्रवार को जिले भर में भाजपा की कार्यकारणी की बैठक वहीं के मंडल प्रभारियों द्वारा करवाई गयी। इसी तरह बैठक राणापुर मंडल में भी आयोजित की गयी जिसमें भाजपा के जिलाध्यक्ष भी शामिल हुये, बैठक सफलता पूर्वक सम्पन्न हुई।

जिसके बाद शहर के भाजपायी पार्षदों के साथ एक बैठक आयोजित की। उसी बैठक में आरोप ही आरोप में विवाद कहा सुनी से तू-तू मैं-मैं पर उतर आया। विवाद वाले दिन की जब रात हुई तो विवाद की खुसर पुसर बाहर आयी तो उसे वहीं का वहीं दबा दिया गया। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार पार्षदों का नगर परिषद के कार्यों में ठीक से मेलजोल नहीं हो रहा था इस बाबत बैठक बिठाई थी। मगर शिकायत की समस्या पर समाधान तो दूर की बात, उल्टा चोर कोतवाल पर चढ़ने लगा। बस बहस को भड़कने में बहुत ज्यादा वक्त नहीं लगा। 

दबी जुबां से बताने वालों ने बताया कि मामले को रोकते नहीं तो बात हाथापाई तक चली जाती, लेकिन बात और आरोप संभाल लिया गया। 

बैठक में नगर परिषद अध्यक्ष पति ने आरोप लगाये कि किसी भी कार्यक्रम में उसे बुलाया नहीं जाता, लेकिन रानापुर मंडल के प्रभारी ने सत्यता सामने रख कर अध्यक्ष पति के जाले साफ कर दिये। इस पर भड़कते हुये बात कोरोना कर्फ्यू काल के कार्यक्रम पर जा टिकी जहां नियमानुसार चार लोगों द्वारा कार्यक्रम किया जाना था, तो उस पर भी आरोप सिद्ध नहीं हो पाया, फिर भाजपा उपाध्यक्ष ने बात खत्म करनी चाही तो चढ़ कर आगे बहस अभिमानी हो कर इस बात पर आ गयी की मामले मे उपाध्यक्ष क्यु बोला। 

अध्यक्ष पति के झूठे आरोपो के बंडल सच के आग में खाक हो गये। 

हालांकि, इस मामले में जब नगर परिषद अध्यक्ष पति से बात की गयी तो वो साफ तौर से मना कर कहा कि मैं तो पार्षद हुं भी नहीं और ऐसी किसी भी बैठक में शामिल हुआ भी नहीं। परन्तु देखने वालों ने तो देखा और सुनने वालों ने तो सुना। 

सुना तो यह भी है कि बैठक बुलाई इस लिये थी कि, शिकायत यह थी कि विपक्षियों के काम पहले किये जाते है, और हरेक कार्य में विपक्षियों को सहयोग भी ज्यादा दिया जाता है। 

बहरहाल जिले की गुटबाजी का जोर कहीं न कहीं दिखाई दे ही जाता है, फिर विवाद के लिये तैयार कर जिलाध्यक्ष की गरिमा को धूमिल करने वाले पर्दे के पीछे के नेता यह भूल जाते है कि बातों ही बातों में नाम तो उनका भी शामिल है। और सबसे बड़ी बात यह भी कि अन्दरूनी विवाद से बाहरी लोगों की मजबूती बड़ जाती है, भाजपाइयों को यह बात दिल में उतार लेनी चाहिये।

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