पाकिस्तानी चालाकी में डूबे बांग्लादेशी और बांग्लादेश से भारत रहे सतर्क
रिंकेश बैरागी,
भारत भूमी पर 22 अप्रैल, 2025 को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में बैसरन मैदान में इस्लामी आतंकवादियों ने पर्यटको के समुह पर हमला किया, जिसमें नाम धर्म पूछ कर गोली चलाई गई। इस इस्लामी आतंकी हमले में 26 भारतीयों की मौत हो गई थी और 20 के लगभग घायल हो गए थे। एक ऐसा ही और इस्लामी आतंकी हमला बांग्लादेश के ढाका में 1 जुलाई 2016 में हथियारों से लेस आतंकियों ने किया था। जिसमें भी नाम देश और धर्म पूछ कर गोलिया चलाई गई थी। उस इस्लामी आतंकी हमले में तीन बांग्लादेशी, सात जापानी, नो इटालीयन, और एक भारतीय की मौत हो गई थी। गौर करने बाली बात है बांग्लादेश के उच्च न्यायालय में जिन इस्लामी सात आतंकियों को मृत्यु दंड दिया गया था 30 अक्टुबर को वह सजा आजीवन कारावास में बदल दी गई।
1 जुलाई को ढाका में हुए इस्लामी आतंकी हमला में ढाका के पॉश डिप्लोमेटिक क्षेत्र में आर्टिशन बेकरी रेस्टोरेंट पर भारी हथियारों से लेस आतंकीयों ने हमला किया था। 20 से अधिक मौतों के साथ दर्जनों को बंधक बनाया गया था। और ऐसे निर्मम हत्याकांड करने वालों के साथ बांग्लादेश ने उदारता दिखाई और बेवजह भटके, खुंखार आतंकवादियों की सजा में बदलाव कर दिया गया।
बांग्लादेश के जन्म से ही भारत तरह-तरह की दुविधाओं से घिरता रहा और स्वमं को संभालता रहा। 1947 में जब कांग्रेस की सहमती से भारत का विभाजन धर्म का आधार पर किया जा रहा था तब बंगाल को भी विभाजन इसी प्रकार किया गया। हिंदु बहुल क्षेत्र पश्चिम बंगाल कहलाया और मुस्लीम बहुल क्षेत्र पूर्वी बंगाल कहलाया। अब पूर्वी बंगाल 1955 में पूर्वी पाकिस्तान बना, परंतु इसके पहले पूर्वी बंगाल को पाकिस्तान की बहुत सी यातनाएं सहनी पड़ी। और अतंतः पाकिस्तान द्वारा पूर्वी बंगाल का नाम बदल कर पूर्वी पाकिस्तान रख दिया गया। यातनाएं बढ़ने लगी और तब शेख मुजीब रहमान की अगुआई में स्वतंत्रा आंदोलन की शुरुआत की गई। रंक्त रंजीत संघर्ष हुआ, हजारों मारे गए युद्ध की भारी स्थिती से बचने के लिए नब्बे लाख से ज्यादा लोग भारत की सीमा पर शरणार्थी बनकर चले गए। 1971 में पाकिस्तानी सेना ने आत्मसर्मपण किया और पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बना, जिसके प्रधानमंत्री शेख मुजीब बने जिनकी हत्या हुई थी उसके बाद वहां सैन्य शासन लगा था।
1971 के बाद से ही बांग्लादेश में भी भारतीय और हिंदुओं पर अत्याचार होते रहे हैं शेख हसीना की सरकार गिराने के बाद से ही हिंदुओं को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा हैं जबकि भारत ने करोड़ो बांग्लादेशियों को अपनी शरण में रखा हुआ है, भारत को उन सभी को भारते खदेड़ना होगा। भारत ने जब पाकिस्तान के इस्लामी आतंकी हमले का उत्तर दिया उसके बाद भी बांग्लादेश में हिंदुओं को प्रताड़ित करने के समाचार लगातार आते रहे हैं। इससे यब स्पष्ट होता है कि, मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार न तो राजनीतिक स्थिरता बहाल कर पाई है न ही बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित कर पाई है।
मोहम्मद यूनुस अपने बल पर अंतरराष्ट्रीय वित्तिय नेटवर्क में पैठ जमाए हुए थे और उसी का लाभ लेते हुए यूनुस ने जो बाइडन की चुनाव में वित्तीय सहायता भी की थी, किंतु ट्रम्प जीत गए और ट्रम्प ने सार्वजनिक रुप से नाराजगी थी व्यक्त की थी। यूनुस स्वयं को उपेक्षित महसूस करने लगे। भारत से तो पहले ही वे तनातनी बढ़ा चुके थे। फिर अपनी सत्ता बरकरार करने के लिए मोहम्मद यूनुस ने चीन का सहारा लिया। चीन की खुश के लिए यूनुस ने यह तक कह दिया कि बांग्लादेश पूर्वोत्तर भारत का संपर्क शेष भारत से काट सकता है। इस क्षेत्र में समुद्र में वह अकेला है उसका ईशारा चीकन नेक या सिलिगुड़ी कॉरिडोर को लेकर था। इस कॉरिडोर के उत्तर में चीन ने बड़े पैमाने पर सैन्य तैनात कर रखी है। यूनुस तो चीन को यह भी संदेश देकर आए कि भारत चीन टकराव की स्थिति में आए तो बांग्लादेश चीन का साथ देगा। यूनुस बांग्लादेश को लेकर बहुत बड़ा खेल खेलने को तैयार है वह तो यह भी चाहता है कि अमेरिका उसकी सुध ले और ऐसा हुआ भी। अमेरिका की बात बांग्लादेश के सेना प्रमुख वकार-उज-जमां से हुई फिर यूनुस सरकार ने म्यांमार के रखाइन प्रांत में बांग्लादेश की भूमि पर अमेरिका को कॉरिडोर बनाने की अनुमति दे दी। ताकि चीन और म्यांमार का प्रभाव बंगाल की खाड़ी के कम किया जा सके। बहुत की बातों में तनाव बढ़ता दिखाई दिया तब जनरल वकार ने संकेत दिया कि ऐसा कोई कॉरिड़ोर नहीं बन रहा।
अब उधर दोहरी चाल में यूनुस की नीति का परिणाम है, फिर इस दौरान पाकिस्तान परस्त कट्टरपंथियों और अन्य इस्लामिक कट्टरपंथियों की ताकतों को बांग्लादेश में मजबूत होने का पुरा मौका मिल गया। वे महिलाओं को अधिकार देने का खुलकर विरोध कर रहे हैं और जिहादी भारत को धमकाने में लगे है। तुर्किए का एनजीओ समर्थित इस्लामिक कट्टरपंथी ग्रेटर बांग्लादेश का समर्थन करने में लगे हुए है। पाकिस्तान परस्त कट्टरपंथी भारत में बसे बांग्लादेशी लोगों को भारत के विरुद्ध उपयोग करने में पुरी तरह से लगे हुए है।
हालांकि भारत देश के अंदर छुपे दुश्मनो को ढुंढ रहा है फिर भी भारत को चौगुनी गति से कार्य कर रोहिग्या और बांग्लादेशियों को चुन-चुन कर बाहर निकालना चाहिए, गुजरात ने शुरुआत की लेकिन कुछ समय के बाद वहां भी अभियान धीमी गति में पहुंच गया। फिलहाल नेपाल बार्डर पर भी तैनाती बड़ी दी गई है।
बहरहाल भारत देश के अंदर भारत में ही रहकर भारत में ही पोषित होते हुए भी भारत के विरुद्ध षड़यंत्र रचते है ऐसे देशद्रोहियों का भारत में अब सफाया करने का समय आ गया है। भारत अब पहले वाला भारत नहीं रहा जो सबकुछ सहन कर ले। भारत अब प्रश्नों के उत्तर और प्रतिउत्तर भी देना जानता है। भारत के विरोध में जितनी भी विचारधाराएं है उन्हें भारत अपने अनुसार सबक सिखाने की तैयारी कर रहा है, और ऐसी विचारधाराओं को नष्ट करना ही चाहिए जो भारत के मूल, उसकी संस्कृति, और उसके सनातन विचार पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।