पर्यावरण संरक्षण करें,भविष्य के लिए पृथ्वी को बचाएं
पर्यावरण संरक्षण करें,भविष्य के लिए पृथ्वी को बचाएं

मानव तरक्की और उन्नति की दौड़ में अंधाधुंध प्रकृति का दोहन करता रहा और भूल गया की प्रकृति में संतुलन बनाए रखना अति आवश्यक है,पिछले कुछ वर्षों से हम चारों तरफ विभिन्न प्रकार की विनाश लीलाएं अर्थात प्राकृतिक आपदाएं देख रहे हैं,ध्रुवो पर बर्फ पिघल रही है,नदियों और समुद्रों का जलस्तर बढ़ रहा है,समुद्री इलाके के समीपवर्ती शहरों नगरों में तूफानों के संकट अक्सर देखने और सुनने को मिलते हैं,जंगलों में अनायास ही आग लग जाती है और उसे बुझाने में बरसों लग जाते हैं,कहीं सूखा पडना और परिणाम स्वरुप अकाल की भयावह स्थिति से गांव दो चार हो रहे हैं,बेमौसम की बरसात का होना,अत्यधिक वर्षा होने से बाढ़ का आना,जनमानस के लिए भयंकर स्थितियां उत्पन्न करता है,नदियों और समुद्रों का पानी अत्यधिक प्रदूषित हो गया है,जिसके कारण जलीय और समुद्री जीव जंतुओं के जीवन को खतरा उत्पन्न हो गया है,धरती पर प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या बना हुआ है, बड़े-बड़े महानगरों और शहरों के आसपास कूड़े करकट का ढेर लगा हुआ है,प्लास्टिक का उपयोग और उच्च स्तर की जीवनशैली बनाने के प्रयास में प्रयोग किए गए विभिन्न प्रकार के पैकेजिंग के व्यर्थ पदार्थों के कारण भूमि का प्रदूषण बहुत अधिक बढ़ गया है,भूमि में प्लास्टिक कचरा दब जाने से सोना उगलने वाली धरती प्रदूषित हो गई है,यदि हम चाहे तो अपने छोटे-छोटे प्रयासों से पर्यावरण संरक्षण के कार्य में अपना सहयोग और योगदान दे सकते हैं,पर्यावरण की रक्षा करना हमारा नैतिक कर्तव्य और हमारी जिम्मेदारी भी बनती है,यदि हम पर्यावरण की रक्षा करते हैं तो हम अपनी आने वाली संस्कृति के लिए अच्छा निवेश करेंगे,यह भी सत्य है कि पर्यावरण हमारी रक्षा तभी करेगा जब हम इसकी रक्षा करेंगे,प्रकृति ने हमारी पृथ्वी पर सौंदर्य का खजाना दोनों हाथों से लुटाया है,चहु और प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा हुआ है,ऊंची-ऊंची पर्वत श्रृंखलाएं,चारों तरफ बर्फ से ढके पहाड़,नदिया, झरने,वादियो में बिखरी-बिखरी बस्तियां,अद्भुत सौंदर्य बिखरते हुए पुष्प,फल और वनस्पतियां,रंग-बिरंगे पक्षियों का सौंदर्य उनका कलरव गान,वन्य प्राणी और न जाने क्या-क्या?पृथ्वी तो अद्भुत और अनंत सौंदर्य का भंडार है,मानव ने ही तकनीकी विकास और विकास के नाम पर संसाधनों का बहुत बुरी तरह से उपयोग करके पृथ्वी पर मौजूद पारिस्थितिक संतुलन को नष्ट किया है,और सौंदर्य को भी उजाड़ा,आज न केवल मनुष्य बल्कि अन्य प्राणी भी अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्षरत है,कई जीव जंतुओं की प्रजातियां लुफ्तप्राय हो चुकी है,मनुष्य विभिन्न बीमारियों का शिकार हो रहा है,उन्नति प्रगति तो मनुष्यो ने बहुत करली परंतु क्या कभी उसके साथ-साथ अपने पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने और अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखने के प्रयास किए हैं?पृथ्वी पर जीवन का आधार ऑक्सीजन है और ऑक्सीजन की फैक्ट्री के रूप में वृक्ष और जंगल है,पर्यावरण में प्रदूषण हो या मौसम में परिवर्तन हो,या अन्य पर्यावरण से संबंधित समस्याएं,सभी के मूल में वृक्षों की अत्यधिक कटाई ही है,हम सभी को अपने-अपने स्तर पर पर्यावरण की रक्षा के लिए वृक्षों का अधिक से अधिक रोपण करना एवं वृक्षों की कटाई को रोकना आवश्यक है,जितनी भूमि पर वृक्षों की कटाई की गई है या खेतों का अधिग्रहण किया गया उससे दोगुनी भूमि पर वृक्षों का रोपण जरूरी है,न केवल रोपण बल्कि उनका संरक्षण करना भी आवश्यक है,इस प्रकार के वृक्ष और लताएं लगाए जाने चाहिए जो अतिशीघ्रता से वृद्धि करते हैं,सड़कों के किनारे ग्रीन बेल्ट को विकसित करना और उनके रखरखाव कार्य होना जरूरी है,जिससे शहरों में प्रदूषण कम हो सके,नगर निगम एवं पंचायतो द्वारा ग्रामीण एवं जिला स्तर पर विशेष रूप से वृक्ष सेवक नियुक्त किए जाएं,जिनका काम वृक्षों को अधिक से अधिक संख्या में जनता द्वारा रोपित करवाना और देखभाल करवाना हो,जो जनसामान्य में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाएं कि पौधों को उगाना,और उनकी रक्षा करना कितना आवश्यक है,जल को संरक्षित करना आवश्यक है,भूमिगत जल के स्तर में निरंतर कमी आ रही है,ऐसी स्थिति मैं जल को संरक्षित करना हमारा दायित्व है,यदि हम जल को व्यर्थ बहाते हैं तो यह आने वाले समय में हमारे लिए भयावह साबित होगा,पोखर और तालाब में जल का संचयन हो जिससे की व्यर्थ पानी भूमि के भीतर जाए और जल स्तर में संतुलन बना रहे,यह कार्य जन जागरण से संभव है,पर्यावरण में प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण को होने से रोकना,प्रदूषण चाहे प्लास्टिक का हो या अन्य प्रकार के नष्ट होने वाले पदार्थ का यह हमारी पृथ्वी के लिए हानिकारक है,जितना हम अपने देश समाज और आसपास के वातावरण को साफ स्वच्छ रखेंगे,हमारा पर्यावरण उतना ही सुरक्षित रहेगा,हरा-भरा पर्यावरण वास्तव में इस धरती पर स्वर्ग है,निष्कर्ष के तौर पर हम कह सकते हैं कि पर्यावरण वास्तव में पांच मूलभूत तत्वों से मिलकर बना है,जिससे यह सृष्टि बनी है,वायु ,जल,पृथ्वी,अग्नि और आकाश इन सभी तत्वों का जिस प्रकार हमारे शरीर से संबंध है,वैसे ही प्रकृति से भी संबंध है, इन सभी तत्वों की उचित मात्रा रहने पर हम स्वस्थ और संतुलित रहते हैं,परंतु इनमें से किसी भी एक तत्व का कम या ज्यादा होना पर्यावरण को दूषित करने लगता है,हम सभी भली प्रकार जानते हैं कि प्रदूषण मुख्य रूप से आज हमारी पृथ्वी और हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा है,हम सबको इस बात को भली प्रकार समझ लेना चाहिए कि हमें भविष्य में पर्यावरण को संतुलित रखना है,और प्रदूषित होने से बचाना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है,स्वयं खुश रहे,स्वस्थ रहें,देश दुनिया को समृद्ध बनाएं।
माया बैरागी शिक्षिका,लेखिका सैलाना, रतलाम, मध्यप्रदेश