नशे में चूर नगर और गांव- जिम्मेदारों के हाथों में माया का जाल। कल्याणपुरा में आसानी से उपलब्ध हो रहा नशीला पावडर।

7 mar 2022

जिले के गांव गांव और नगर शहर में असंख्य युवा नशे के घेरे में घूम चुके हैं। और इस नशे के आदी हो कर अलग-अलग अपराध में लिप्त हुये जा रहे हैं। जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारियों से कन्नी काट रहे है तो परिजन परेशान हो कर पत्थर पर सर फोड़ रहे हैं। 

आज जिले में नशीला पदार्थ लेना हो तो बड़ी ही आसानी से मिल जाता हैं। फिर जो युवा नशे के जाल में फंस चुके है वो अपनी टीम को आसानी से बढ़ाते जा रहे हैं क्युकि जिले में उनको न तो खाकी का खौफ़ है और न ही जिँदगी के खत्म होने का। 

नशीला पावडर को लेकर नशेडी रतलाम के मार्ग से आसानी से जिले में  प्रवेश कर जाते हैं। फिर रास्ते में तय ठिकानों पर रुक कर वितरित करते जाते हैं। और कुछ नशीली दवाई गुजरात के दाहोद से भी जिले में आसानी से आ जाती हैं। 

कल्याणपुरा नगर में बड़ी मात्रा में नशे की लत के शिकार युवाओ का झुंड बढ़ते जा रहा हैं। रोज अंधेरा होते ही तय ठिकानो पर नशेडी युवा आ जते है और नशे के बेनाम अंधेरे में खो जाते हैं। 

पुलिस को जानकारी होने के बाद भी अंजान की तरह अगले बगले झांकती हैं। जबकि नशीला पदार्थ कल्याणपुरा से निकलकर अंतरवेलिया आ कर तीन भागों में बंट जाता है एक झाबुआ की तरफ चला जाता है तो दूसरा मेघनगर और तीसरा कल्याणपुरा वापसी कर लेता है। 

कल्याणपुरा में रोज रात को नशेड़ी युवा नशे के लिये अलग अलग स्थान चुन कर बैठ जाते हैं। पुलिस को खबर होने पर भी पुलिस की किसी प्रकार से कोई कार्यवाही नहीं होती हैं। पुलिस की पैनी नज़र से नशा करने वाले और नशीला पदार्थ बेचने वाले कैसे गायब हो जाते है यह रहवासियो के लिये बहुत बड़ा प्रश्न हैं।

दिन पे दिन कल्याणपुरा सहित पुरे झाबुआ में पावडर और नशीली दवाइयों के सेवन करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही हैं। जिसको रोकने में पुलिस असमर्थ होती प्रतित है।

जबकि कल्याणपुरा में अंधेरा कायम होने के बाद हाई सेकेंडरी स्कूल के ग्राउंड में, सोलंकी फलिया के पुल, नेगडी नदी के पुल के नीचे छुप छुपा कर युवा नशीले पावडर का सेवन करते हैं।

हालांकि पुलिस से बेखौफ़ हो कर जो युवा छुप छुप कर नशा करते है उनको पकड़ कर सख्ती से पुछताछ की जाये तो कल्याणपुरा में नशे का पदार्थ कैसे आता है और कौन लाता है इसकी सम्पूर्ण जानकारी मिल जायेगी।

बहरहाल पुलिस का रोना है कि नशे के ऐसे मामले में उनके पास कोई क्लू नही आता। जबकि यह तो सम्भव है ही नहीं की पुलिस की जानकारी के बीना कोई भी अवैध काम जिला, शहर, नगर, तो क्या गांव की सीमा को भी पार नहीं कर सकता। 

नशे पर लगाम लगाने के लिये पुलिस को जेब से हाथ निकलना ही पड़ेगा। 

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