जनजाति समाज में सनातन देवी देवताओं की आस्था के बिना विवाह नहीं।

कमल डामोर।

चैत्र वैशाख माह से अधिकतर शादियों की धूम जनजाति बहुल क्षेत्रों में होती है कुछ क्षेत्रों में आखातीज के बाद से प्रारंभ होती हैं, जिसमें जनजाति समाज बड़ी धूम धाम से शादी करता है।परन्तु वर्तमान स्थितियों पर नजर डालते है तो कई ऐसे संगठन होते है जिनका जुड़ाव कही न कही मिशनरियो से जुड़ा होता हैं और उन्हीं के मार्गदर्शन से सनातन के विरुद्ध जनजाति समाज को बरगलाकर सनातन संस्कृति को मिटा कर धर्मांतरण करवाने के उद्देश्य से आदिवासी हिन्दू नहीं, आदिवासी मूर्ती पूजक नहीं जैसी कई भ्रामक जानकारियां प्रेषित कर जनजाति समाज को बड़े तबके के साथ सनातन से अलग करने का सुनियोजित षड्यंत्र किया जा रहा है।परन्तु जनजाति समाज की सनातन संस्कृति इतनी गहरी है कि वो कितना भी वैचारिक रूप अलगाव होने की स्थिति में होते जरूर परन्तु भौतिक रूप से कभी सनातन से अलग नहीं हो सकते क्योंकि हम सभी समझ सकते है कि जनजाति समाज विवाह करने के पूर्व सनातन संस्कृति परंपरा कई बिंदु होते है जिनके आधार पर ही शादी तय करते है।जैसे होली के एक माह पूर्व जनजाति समाज कभी शादी नहीं करेगा,मान्यता है कि होली के एक महीने पूर्व होली डांडा परंपरा होती हैं इसलिए जनजाति समाज होली के बाद ही शादी तय करेगा।जनजाति समाज अमावस्या के दिन कोई भी शादी का शुभ कार्य नहीं करता है।जनजाति समाज नवमी ओर दशमी जिस दिन शीतला माता ओर दशा माता की पूजा होती उस दिन कोई भी शादी का शुभ काम नहीं करते हैं।जनजाति समाज जब भी बारात लेकर जाता हैं तो जब तक दुल्हन के घर नहीं पहुंच जाता और उनके बिच जितने भी सनातनी देव स्थान या देवी देवताओं के मंदिर होते हैं (गिरजा मजार ओर चर्च छोड़कर) बाकी सभी मंदिरों में श्री फल नारियल चढ़ा कर ही बारात आगे बढ़ाते है मान्यता है कि सभी देवताओं को श्रीफल भेंट कर बारात में आने का न्यौता देते हैं ।शादी के प्रथम दिन ही श्री गणेश की पूजा करते हैं जिसे स्थानीय बोली में बाबा गणेह के नाम से पूजते है।जैसे ओर भी कई रीति रिवाज परंपरा होते है जो सनातन देवी देवताओं को पूजे बिना जनजाति समाज में शादी नहीं होती हैं ।इसलिए माना जाता हैं कि जनजाति समाज बिना देवी देवताओं की आस्था के बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं करता है।इसलिए वर्तमान पीढ़ी को इन सभी षडयंत्रों से बचना चाहिए और ओर पूर्वजों द्वारा दी हुई संस्कृति परंपरा रीती रिवाज को सुरक्षित कर जनजाति समाज की पहचान कायम रखना चाहिए।

#HYJS_प्रमुख ~~ कमल डामोर @highlight

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *