एक युद्ध नशे के विरुद्ध
डॉ बालाराम परमार ‘हॅंसमुख’
नशीली दवाओं और मादक पदार्थों का सेवन आज के समय में एक बड़ी समस्या बन गई है, जो न केवल व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करती है, बल्कि समाज और देश के विकास को भी बाधित करती है। युवा वर्ग में इसकी लत बढ़ती जा रही है, जो निजी भविष्य के साथ राष्ट्र के लिए भी खतरे की घंटी है।
नशा एक ऐसी मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति शराब, तंबाकू, गांजा, अफीम, और अन्य नशीली दवाएं के सेवन से अपने सामान्य व्यवहार से अलग हो जाता है। सुध-बुध एवं सुझबुझ खो देता है। आधुनिक सोशल मीडिया पर अश्लील एवं अशोभनीय परोसी जा सामग्री के चलते युवा वर्ग, विशेष कर लड़कियों में नशे की लत बढ़ती जा रही है, जो उनके भविष्य के साथ ही साथ समाज और देश के लिए शुभ संकेत नहीं है। नशे की लत के कारण युवा वर्ग में अपराध, हिंसा, और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं बढ़ रही हैं।
दुर्भाग्यवश सरकारी तंत्र नशे की समस्या को नियंत्रित करने में विफल हो रहा है। राजस्व के लालच में गली गली शराब की दुकानें खोलने की मंजूरी दी जा रही है। दवाइयों की दुकानों पर नशीली दवाओं की बिक्री को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। समाज भी नशे की समस्या को अनदेखा कर रहा है। नशे की लत के शिकार लोगों को समाज में दुत्कार नहीं मिलती है, जिससे वे और अधिक स्वछंद हो कर स्वयं के स्वास्थ्य एवं परिवार की परवाह न करते हुए धन की बर्बादी कर रहे हैं।
नशे की समस्या से मुक्ति पाने के लिए शैक्षिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक उपायों की आवश्यकता है। स्कूलों और कॉलेजों में नशे के बारे में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। युवाओं को स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है । नशे के शिकार लोगों को कांसोलिंग करने की अवश्यकता है। नशे के खिलाफ सभी स्तर पर अभियान चलाने की आवश्यकता है, जिससे लोगों को नशे के खतरों के बारे में जागरूकता पैदा की जा सकें।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से नशे के बारे में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। स्वस्थ जीवन मूल्यों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, जिससे युवा वर्ग में नशे की लत कम हो।
समाज में विद्यमान अन्य बुराइयों के साथ ही नशे की समस्या से निजात पाना भी एक बड़ी चुनौती है, जिसका समाधान शैक्षिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक उपायों से ही संभव है। समाज और सरकार दोनों को नशे के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना होगा और युवा वर्ग को नशे की लत से बचाना होगा। अन्यथा भौतिक विकास का कोई अर्थ नहीं रहेगा।
लेखक सेवा निवृत्त प्राचार्य एवं मध्यप्रदेश पाठ्य पुस्तक निर्माण एवं देखरेख समिति और विद्या भारती मध्य क्षेत्र के सदस्य है।