SDM खराड़ी की कहानी में करोडों रुपयों का सरकारी घोटाला-कांग्रेस सरकार के वक्त का फर्जी काम-भाजपा की बुझी बत्ती और प्रमाण होने पर भी नहीं की कलेक्टर ने दंडात्मक कार्यवाही।
9 Oct 2021
दिंनाक 21/06/2021 को एक आईएएस अधिकारी ने जांच प्रतिवेदन जिले के दंडाधिकारि कलेक्टर को सौपा था जिसकी अन्तिम पंक्तिया थी।
जांच प्रतिवेदन आवश्यक कार्रवाही हेतू सादर प्रेषित।
यह जांच उन 125 पट्टों की थी जिसमें से 3 खारिज कर दिये गये और 122 पट्टों को फर्जी तरीके से तत्कालीन SDM अभय खराड़ी के द्वारा सरकारी करोड़ों रुपयों का घोटाला कर मुख्य नगर पालिका अधिकारी झाबुआ और कांग्रेसी नेताओ के साथ मिलीभगत कर वितरित किये गये।
अब एक आईएएस अधिकारी की जांच पर सवालिया निशां यह उठते है कि क्या जांच प्रतिवेदन में कोई गड़बड़ियां है जो अभी तक SDM रहे अभय खराड़ी पर जिला दंडाधिकारी कलेक्टर ने किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नही की। और इसके विपरित जिला कलेक्टर ने अभय खराड़ीको नित नये पद से नवाजा।
और यदि आईएएस अधिकारी की जांच निष्ठा प्रमाण स्पष्ट है तो ऐसे क्या कारण हो सकते है कि प्रशासन पर कार्यवाही नहीं करने का दबाव बना हुआ है। और फिर दबाव है भी तो वह किस तरह का है।
इस पर बुद्धिजीवी वर्ग कहता है कि दबाव तो राजनीति और रोकड़े का ही होता है तभी तो सबूत होते हुये भी प्रकरण फट जाते है अपराधी आराम से आवाम को बेवकूफ बना कर आवक के नये रास्ते निकाल लेते है। फिर जो बड़े-बड़े नेता और अधिकारी स्वयं को निष्ठावान बताते है वें भी बैखौफ भ्रष्ट हो जाते है।
जांच प्रतिवेदन की अगर बात करें तो जिले में रहे सहायक कलेक्टर आकाश सिंह ने सूक्ष्मता के साथ जांच की और पूरे मामले में यह पाया गया कि, मुख्य कार्य पालन अधिकारी नगर पालिका झाबुआ के साथ मिलीभगत कर शासन की करोडों रुपये की भूमि का अवैध बंटन कर दिया गया।
इसमें शामिल नेता भी जिनके हिस्से में भी हिस्सेदारी है।
जांच दल फर्जी, नियम के विरुद्ध सारे कार्य,
लगभग साढ़े तीन माह की कार्यवाही को 4 दिन में करते हुये शासकिय करोड़ों रुपये की नजुल भूमि के 123 पट्टे वितरित कर दिये।
आदेश निर्देश का कोई लिखित प्रमाण नहीं,
मनमाने तरीके से पट्टे वितरण किये,
वहीं स्पष्ट लिखा है कि मुख्य नगर पालिका अधिकारी झाबुआ ने आचार संहिता के समाप्त होने के बाद हितग्राहियों की सूची दी। लेकिन तत्कालीन SDM खराडी ने मिलीभगत कर 187 पट्टे उससे पहले ही फर्जी तरीके से वितरित कर दिये।
हालांकि भाजपा यह कहती है कि पंक्ति के अन्तिम व्यक्ति को योजनाओ की सुविधा मिलनी चाहिये मगर यहा तो खुद भाजपा ही भ्रष्टाचार का अन्तिम पंक्ति तक साथ दे रही है। दबी जुबा से लोग कहते है कि कांग्रेस ने तो भ्रष्टाचार कर के खूब कमा लिया अब भाजपा भी इसी सीढ़ी पर चढ़ कर कामाई कर रही है।
तभी तो जांच प्रतिवेदन प्रस्तूत होने के बाद भी तत्कालीन SDM खराड़ी पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं हुई, इसके विपरित जांच अधिकारी का तबादला हो गया। और जिला कलेक्टर यह बयां न्यूज़ पेपर में दे रहे है कि वितरित पट्टे की जांच की जायेगी, जबकि जांच तो हो चुकी है और जांच पट्टों की नहीं वितरण प्रणाली की है, जिसमें तत्कालीन SDM दोषी पाये गये है क्युंकि उनकी कार्य प्रणाली पूर्ण रूप से फर्जी है।
बहरहाल भैस पानी में ही नहीं पूरी तरह से कीचड़ में लथ-पथ है और उसी कीचड़ के खिले हुये कमल को रौंध रही है, मगर ऊपरी दिखावें के कारण किसी भी भाजपाई को समझ में नहीं आ रहा, बडे भाजपाई नेता तो माया ही देख रहे है बर्बादी को नहीं और जिला दंडाधिकारी कलेक्टर भी उसी बहती हवा में मदहोश है शायद इसलिये कार्यवाही करने से कदम पीछे हटा रहे है।
दिंनाक 21/06/2021 को एक आईएएस अधिकारी ने जांच प्रतिवेदन जिले के दंडाधिकारि कलेक्टर को सौपा था जिसकी अन्तिम पंक्तिया थी।
जांच प्रतिवेदन आवश्यक कार्रवाही हेतू सादर प्रेषित।
यह जांच उन 125 पट्टों की थी जिसमें से 3 खारिज कर दिये गये और 122 पट्टों को फर्जी तरीके से तत्कालीन SDM अभय खराड़ी के द्वारा सरकारी करोड़ों रुपयों का घोटाला कर मुख्य नगर पालिका अधिकारी झाबुआ और कांग्रेसी नेताओ के साथ मिलीभगत कर वितरित किये गये।
अब एक आईएएस अधिकारी की जांच पर सवालिया निशां यह उठते है कि क्या जांच प्रतिवेदन में कोई गड़बड़ियां है जो अभी तक SDM रहे अभय खराड़ी पर जिला दंडाधिकारी कलेक्टर ने किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नही की। और इसके विपरित जिला कलेक्टर ने अभय खराड़ीको नित नये पद से नवाजा।
और यदि आईएएस अधिकारी की जांच निष्ठा प्रमाण स्पष्ट है तो ऐसे क्या कारण हो सकते है कि प्रशासन पर कार्यवाही नहीं करने का दबाव बना हुआ है। और फिर दबाव है भी तो वह किस तरह का है।
इस पर बुद्धिजीवी वर्ग कहता है कि दबाव तो राजनीति और रोकड़े का ही होता है तभी तो सबूत होते हुये भी प्रकरण फट जाते है अपराधी आराम से आवाम को बेवकूफ बना कर आवक के नये रास्ते निकाल लेते है। फिर जो बड़े-बड़े नेता और अधिकारी स्वयं को निष्ठावान बताते है वें भी बैखौफ भ्रष्ट हो जाते है।
जांच प्रतिवेदन की अगर बात करें तो जिले में रहे सहायक कलेक्टर आकाश सिंह ने सूक्ष्मता के साथ जांच की और पूरे मामले में यह पाया गया कि, मुख्य कार्य पालन अधिकारी नगर पालिका झाबुआ के साथ मिलीभगत कर शासन की करोडों रुपये की भूमि का अवैध बंटन कर दिया गया।
इसमें शामिल नेता भी जिनके हिस्से में भी हिस्सेदारी है।
जांच दल फर्जी, नियम के विरुद्ध सारे कार्य,
लगभग साढ़े तीन माह की कार्यवाही को 4 दिन में करते हुये शासकिय करोड़ों रुपये की नजुल भूमि के 123 पट्टे वितरित कर दिये।
आदेश निर्देश का कोई लिखित प्रमाण नहीं,
मनमाने तरीके से पट्टे वितरण किये,
वहीं स्पष्ट लिखा है कि मुख्य नगर पालिका अधिकारी झाबुआ ने आचार संहिता के समाप्त होने के बाद हितग्राहियों की सूची दी। लेकिन तत्कालीन SDM खराडी ने मिलीभगत कर 187 पट्टे उससे पहले ही फर्जी तरीके से वितरित कर दिये।
हालांकि भाजपा यह कहती है कि पंक्ति के अन्तिम व्यक्ति को योजनाओ की सुविधा मिलनी चाहिये मगर यहा तो खुद भाजपा ही भ्रष्टाचार का अन्तिम पंक्ति तक साथ दे रही है। दबी जुबा से लोग कहते है कि कांग्रेस ने तो भ्रष्टाचार कर के खूब कमा लिया अब भाजपा भी इसी सीढ़ी पर चढ़ कर कामाई कर रही है।
तभी तो जांच प्रतिवेदन प्रस्तूत होने के बाद भी तत्कालीन SDM खराड़ी पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं हुई, इसके विपरित जांच अधिकारी का तबादला हो गया। और जिला कलेक्टर यह बयां न्यूज़ पेपर में दे रहे है कि वितरित पट्टे की जांच की जायेगी, जबकि जांच तो हो चुकी है और जांच पट्टों की नहीं वितरण प्रणाली की है, जिसमें तत्कालीन SDM दोषी पाये गये है क्युंकि उनकी कार्य प्रणाली पूर्ण रूप से फर्जी है।
बहरहाल भैस पानी में ही नहीं पूरी तरह से कीचड़ में लथ-पथ है और उसी कीचड़ के खिले हुये कमल को रौंध रही है, मगर ऊपरी दिखावें के कारण किसी भी भाजपाई को समझ में नहीं आ रहा, बडे भाजपाई नेता तो माया ही देख रहे है बर्बादी को नहीं और जिला दंडाधिकारी कलेक्टर भी उसी बहती हवा में मदहोश है शायद इसलिये कार्यवाही करने से कदम पीछे हटा रहे है।