धर्म

निस्संदेह यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना थी और हताहतों की सोच कर दिल फट जाता है।

इसके बावजूद मैं, हमारे ( 55-60 वर्ष के तीन पुरुष और 1 महिला) कुछ अनुभव साझा करना चाहूंगा। वे अनुभव

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आचार्य श्री एवं मुनिराजगणों का महावीर बाग से बावन जिनालय तक शोभायात्रा के रूप में हुआ मंगल प्रवेश-श्री गौड़ी पार्श्वनाथ मंदिर पर अट्ठम तप के तपस्वियों का धारणा कार्यक्रम।

पुरूषादानी प्रभु श्री पार्श्वनाथ भगवान की महिमा अपरंपार है -ः आचार्य श्रीमद् विजय हितेषचन्द्र सूरीजी झाबुआ। विश्व पूज्य दादा गुरूदेव

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