नवीन नियुक्ति और ट्रांसफर से 600 अतिथि विद्वानों का रोजगार छीन लिया मोहन सरकार ने
नवीन नियुक्ति और ट्रांसफर से 600 अतिथि विद्वानों का रोजगार छीन लिया मोहन सरकार ने :-‘
दिवाली के त्यौहार से पहले ही उच्च शिक्षितों की खुशियां छीन ली गई ‘अतिथि विद्वानों का आरोप: मनमाने तरीके से नियुक्ति व ट्रांसफर किए गए।दिवाली के त्यौहार पर घर पहुंचने पर हम अक्सर मिठाइयां लेकर जाते हैं। मगर प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में वर्षों से सेवा देने वाले अतिथि विद्वान अपने परिवार व बच्चों के लिए फॉलेन आउट अथवा बेरोजगारी का पत्र लेकर जा रहें हैं।जी हां 8 अक्टूबर को उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश भर के 68 पीएम कॉलेजों में विगत 10 माह से जारी 535 रिडिप्लायमेंट को खत्म करके उन्हें ट्रांसफर में तब्दील कर दिया। जिसके कारण इन कॉलेजों में सेवा देने वाले अतिथि विद्वानों को फॉलेन आउट कर दिया गया। वहीं एक सप्ताह के अंदर ही 15 अक्टूबर को इतिहास विषय के 67 नवीन सहायक प्राध्यापकों के नियुक्ति आदेश जारी कर दिए गए। जिसका दंश भी अतिथि विद्वानों को फॉलेन आउट के रूप में भोगना पड़ा। इस प्रकार 600 से अधिक अतिथि विद्वान बेरोजगार हो गए हैं। अब ये उच्च शिक्षित सड़क पर आ गए हैं। क्या मोहन सरकार को इन पर दया आएगी या नहीं। यह देखने वाली बात होगी।
अब सरकार ने फॉलेन आउट का झुनझुना पकड़ा दिया :
अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुरजीत सिंह भदौरिया ने कहा कि दिवाली के त्यौहार पर सरकार ने हमारे परिवार की खुशियां छीन ली है। जो 11 सितंबर 2023 को सीएम हाउस भोपाल में अतिथि विद्वान पंचायत में वादे किए थे। अब उसके विपरीत काम किया जा रहा है। अधेड़ उम्र में हमें अब कौन नौकरी देगा। सरकार हरियाणा की तर्ज पर हमारे लिए पॉलिसी बनाएं।मीडिया प्रभारी शंकरलाल खरवाडिया ने भी मोहन सरकार पर आरोप लगाते हुए बताया है कि हम तो इस शोषणकारी व्यवस्था में लूट गए, बर्बाद हो गए हैं। हमारी अहर्ताएं महज एक कागज़ का टुकड़ा रह गई है। 25 साल से अतिथि विद्वान के रूप में उपयोग किया जा रहा है। अब फॉलेन आउट का झुनझुना पकड़ा दिया है।
बीजेपी के वादें निकलें झूठे :तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव की मौजूदगी में अतिथि विद्वान पंचायत में तमाम घोषणाएं हुई थी। उनमें एक इन्हें नवीन नियुक्ति और ट्रांसफर से फॉलेन आउट नहीं करना व इन्हें शासन का अंग बताया गया था। जिसका पालन अब नहीं हो रहा है। उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने विगत विधानसभा सत्र में जानकारी देते हुए बताया था कि हम अतिथि विद्वानों के स्थान को छोड़कर सहायक प्राध्यापक भर्ती 2022 की नियुक्ति करेंगे। ट्रांसफर से इनको फॉलेन आउट भी नहीं करेंगे।अतिथि विद्वानों का आरोप :अतिथि विद्वानों का आरोप है कि इतिहास विषय में जो 67 नियुक्तियां हुई है। उनमें मनमाने तरीके से अपने गृहक्षेत्र के कॉलेजों में ही नियुक्ति दी गई है। वहीं 535 ट्रांसफर में अनेकों शिकायती और सिगंल पद से आए सहायक प्राध्यापकों ले लिया गया है। प्राचार्य, अतिरिक्त संचालक और रसूखदारों की मिली भगत से विगत 10 माह से उनका वेतन भी निकाला गया।