स्थल परिवर्तन में भी उच्च शिक्षा विभाग अतिथि विद्वानों के साथ कर रहा मज़ाक

-‘ 11 सितंबर 2023 की पंचायत की घोषणा भी केवल दिखावा हो गई ‘

प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि विद्वानों के साथ व उनके भविष्य के साथ उच्च शिक्षा विभाग केवल मजाक कर रहा है। अब 11सितंबर 2023 की पंचायत की घोषणाएं भी दिखावा ही लग रही है।

हर शैक्षणिक सत्र में अलग-अलग महीनों में स्थल परिवर्तन से अनेकों कार्यरत अतिथि विद्वान अपात्र हो गए हैं। वहीं अगस्त – 2025 में एक बार कार्यरत के लिए किए गए स्थल परिवर्तन में ज्यादातर प्राचार्यों ने रिक्त पदों को ही अद्यतन नहीं किया था। जिसे विभाग ने रोककर पूर्व पंजीकृत के साथ 2 सितंबर को च्वाइस फिलिंग का कैलेंडर फिर निकाल दिया। इसको भी निरस्त करके स्पेशल पूर्व पंजीकृत के लिए सत्यापन, च्वाइस फिलिंग और उपस्थिति का कैलेंडर 19 सितंबर को निकाल दिया। इससे एक दिन पहले फालेन आउट अतिथि विद्वानों की च्वाइस फिलिंग का कैलेंडर निकाल दिया।

वास्तव में देखा जाए तो पहले कार्यरत अतिथि विद्वानों की स्थल परिवर्तन प्रक्रिया पूर्ण करना चाहिए थी। मगर उच्च शिक्षा विभाग अतिथि विद्वानों के साथ कैलेंडर – कैलेंडर खेल रहा है। जब पूर्व पंजीकृत आवेदकों की महाविद्यालय में उपस्थिति से लगभग रिक्त पद भर जाएंगे, तो कार्यरत अतिथि विद्वान कैसे अपने नजदीकी महाविद्यालय में स्थल परिवर्तन ले पाएंगे। यह विचारणीय प्रश्न है। मध्य प्रदेश संयुक्त अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश संयोजक डॉ. सुरजीत सिंह भदौरिया ने बताया कि पंचायत की घोषणाओं का पालन करने की बजाय उच्च शिक्षा विभाग अतिथि विद्वानों के भविष्य के साथ मजाक कर रहा है। पहले कार्यरत के लिए स्थल परिवर्तन प्रक्रिया को अंजाम देना चाहिए तत्पश्चात पूर्व पंजीकृत आवेदकों को मौका मिलना चाहिए।संघर्ष मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी शंकरलाल खरवाडिया ने भी बताया कि उच्च शिक्षा विभाग पहले ही 68 पीएम कॉलेज आफ़ एक्सीलेंस में 616 रिडिप्लायमेंट करके बैठा है। जिनमें अधिकतर अतिथि विद्वान सेवाएं दे रहे हैं।

उनको कभी भी फॉलेन आउट किया जा सकता है। नियमानुसार पहले कार्यरत को अन्य नजदीकी महाविद्यालय में स्थल परिवर्तन करवाना चाहिए। नवीन नियुक्ति भी अतिथि विद्वानों की जगह न करें विभाग।

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