अतिथि विद्वानों को 10 वर्ष अध्यापन अनुभव का अब तक नहीं मिला लाभ

सहायक प्राध्यापक भर्ती में 10 साल आयु में छूट दी गई परंतु अनुभव का लाभ नहीं

उच्च शिक्षितों के भविष्य को सरकार ने बना दिया है मजाक ”

अपने जीवन को बेहतर बनाने और आने वाली पीढ़ी के लिए एक कुशल व योग्य दिशा देने के लिए उच्च शिक्षा हासिल की जाती है। मगर मध्य प्रदेश सरकार के शासकीय महाविद्यालयों में पिछले 25 सालों से अतिथि विद्वानों का कालखंड दर व प्रति कार्य दिवस की दिहाड़ी पर उपयोग किया जा रहा है। मंत्रालय उच्च शिक्षा विभाग द्वारा 5 अक्टूबर 2023 को जारी अतिथि विद्वान नीति / निर्देश के बिन्दु क्रमांक 9.2 में पीएससी से नियमित सहायक प्राध्यापक, क्रीड़ा अधिकारी और ग्रंथपाल भर्ती में अतिथि विद्वानों को 10 वर्ष आयु में छूट देने का प्रावधान तो जरूर कर किया गया है। लेकिन कॉलेजों में रिक्त पदों के विरुद्ध अतिथि विद्वान भर्ती में इन्हें मात्र एक वर्ष के 4 अंक के मान से अधिकतम 5 वर्ष के 20 अंक से ज्यादा का लाभ नहीं दिया जाता है। जिसके कारण पुरानी पद्धति से पीजी करने वाले अतिथि विद्वान नवीन सेमेस्टर पद्धति से पीजी करके आने वाले उम्मीदवारों से मेरिट में पिछड़ जाते हैं। क्योंकि उनके सीसीई, प्रोजेक्ट के अंक व हर छः माह के अन्तराल में चार सेमेस्टर के अंको का योग प्लेन पीजी वालों से अधिक बनता है।

अतिथि विद्वान मेरिट के निर्धारण की गणना पीजी के प्राप्तांक प्रतिशत को अंक मानते हुए प्राप्त अंकों में से 50 घटाकर उसमें केटेगरी, अध्यापन अनुभव आदि के अधिभार को जोड़कर की जाती है। इतना ही नहीं 11 सितंबर 2023 की अतिथि विद्वान पंचायत में तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान और वर्तमान सीएम व पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में अतिथि विद्वानों की पंचायत में भी इन्हें अतिथि विद्वान व नियमित भर्ती में 10 प्रतिशत तक अनुभव का लाभ देने की घोषणा हुई थी। जिसके आदेश अब तक जारी नहीं हुए हैं।

मध्य प्रदेश संयुक्त अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश संयोजक डॉ. सुरजीत सिंह भदौरिया ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि उच्च शिक्षित अतिथि विद्वानों के भविष्य को सरकार ने मजाक बना दिया है। चुनाव से पहले बीजेपी सरकार ने पंचायत में जो 10 प्रतिशत अध्यापन अधिभार और भविष्य सुरक्षा की घोषणा की थी, वह अब भी केवल घोषणा ही रह गई है। अतिथि विद्वान आर्थिक व मानसिक रूप से टूटते जा रहें हैं। अनिश्चित नौकरी से सभी सहमें हुए हैं।

नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी शंकरलाल खरवाडिया ने भी दुःख जाहिर करते हुए बताया कि हमारे साथ हर तरीके से छल होता आया है। अतिथि विद्वान भर्ती और नियमित भर्ती दोनों में ही 10 प्रतिशत अनुभव का फायदा नहीं देना पुराने अतिथि विद्वानों के साथ एक तरह से अन्याय है। वास्तव में 5 साल से ज्यादा का लाभ नहीं मिलने के कारण अनेकों फॉलेन आउट अतिथि विद्वानों को सालों तक बेरोजगार रहना पड़ा है। सरकार को अतिथि विद्वानों के प्रति सहानुभूति दिखानी चाहिए।

One thought on “अतिथि विद्वानों को 10 वर्ष अध्यापन अनुभव का अब तक नहीं मिला लाभ

  1. बिल्कुल भाजपा के कार्यकाल में अतिथि विद्वानों का सबसे ज्यादा शोषण किया गया है जब हरियाणा में अतिथि विद्वानों का अनुभव क़े अनुसार नियमितीकरण किया गया है तो फिर 10 से 25 वर्षों की सेवा दे रहे अतिथि विद्वानों का क्यों नहीं…… 🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔

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