535 ट्रांसफर से अतिथि विद्वानों को कर दिया फॉलेन आउट।

पीएम कॉलेज आफ़ एक्सीलेंस में 535 ट्रांसफर से अतिथि विद्वानों को कर दिया फॉलेन आउट :’ दीपावली पर तोहफें की जगह सरकार छीन रही है रोजगार ”

अतिथि विद्वान पंचायत की घोषणा निकली झूठी ‘हमारे देश में एक ओर जहां धार्मिक त्यौहार पर राज्य सरकारें रेग्युलर, प्रति कार्यदिवस आदि पर सेवा देने वाले कर्मचारियों को कोई विशेष आर्थिक लाभ अथवा डीए में बढ़ौतरी करती हैं। मगर झाबुआ, धार, इंदौर आदि सहित एमपी के 68 पीएम कॉलेज आफ़ एक्सीलेंस में बुधवार को उच्च शिक्षा विभाग ने अचानक 535 सहायक प्राध्यापकों का ट्रांसफर कर दिए, जिससे इन कॉलेजों में वर्षों से सेवा देने वाले लगभग अतिथि विद्वान नियमित फैकल्टी के ज्वाइन करने पर बेरोजगार हो गए हैं।

इस तरह से पिछली शिवराज सरकार में 11 सितंबर 2023 को हुई अतिथि विद्वान पंचायत की घोषणा झूठी दिखाई दें रही है। जिसमें इन्हें फालेन आउट नहीं करने, फॉलेन आउट जैसे शब्द को समाप्त करने व नियमित के समान सुविधाएं देने आदि की घोषणाएं की गई थी। फिर भी प्राचार्यो ने इन्हें फॉलेन आउट करने के पत्र थमा दिए हैं। अनेकों महिला अतिथि विद्वानों को तो करवा चौथ के दिन ही बेरोजगार कर दिया गया। पिछले जुलाई – अगस्त माह में भी ट्रांसफर नीति से अतिथि विद्वानों को बाहर किया गया था।वास्तव में दिसंबर 2024 से 616 सहायक प्राध्यापकों को अतिथि विद्वानों के स्थान पर रिडिप्लायमेंट दे रखा था। तब सरकार पर वित्तीय भार बिल्कुल नहीं आया। लेकिन अतिथि विद्वानों को रिक्त पद होने व प्रवेश संख्या कम होने पर नहीं रखा जाता है। क्योंकि उससे वित्तीय भार बढ़ जाता है। अनेकों प्राचार्य ने तो व्हाट्सएप और कॉलेज के मेल पर ही सहायक प्राध्यापकों के कार्यमुक्त आदेश भेज दिए हैं। जबकि फिजिकली तौर प्रक्रिया पुरी करनी चाहिए थी।

मध्य प्रदेश अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुरजीत सिंह भदौरिया का इस बारें में कहना है कि पिछले 25 सालों से अतिथि विद्वान पीजी कॉलेजों जिन्हें पीएम कॉलेज आफ़ एक्सीलेंस बनाया गया है, उनमें लगातार पढ़ा रहे थे। बच्चों ने बड़े – बड़े मुकाम भी हासिल किए। लेकिन अब गुणवत्ता की दुहाई देकर अतिथि विद्वानों को बाहर करना सरकार की मनमानी दिखाई दे रही है।

संघर्ष मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी शंकरलाल खरवाडिया ने इस शोषणकारी व्यवस्था के संबंध में बताया है कि एक तरफ अतिथि विद्वानों के लिए रिलोकेशन चल रहा है। दूसरी ओर प्राचार्यों ने हमें फालेन आउट कर दिया है। ऐसी स्थिति हमारा क्या होगा। उच्च शिक्षा विभाग ने अतिथि विद्वान व्यवस्था को खिचड़ी बना दिया है। अगर देखा जाए तो रसूखदारों के दबाव में पीएम कॉलेजों में अनेकों शिकायती व सिंगल पद से आए सहायक प्राध्यापकों के ट्रांसफर किए गए है।

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