सिविल कोर्ट के निर्णय के बाद वक्फ ट्रिब्यूनल को सुनवाई का अधिकार नहीं।

न्यूज एजेंसी,

वक्फ ट्रिब्यूनल के सुनवाई करने के अधिकार क्षेत्र पर आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया हैं। हाईकोर्ट ने कहा है कि जिस मामले में सिविल कोर्ट, वक्फ कानून-1995 लागू होने से पहले फैसला सुना चुका हैं कि संपति वक्फ नहीं है तो उसके बाद वक्फ ट्रिब्यूनल को उस मामले में सुनवाई करने का अधिकार नहीं है। यह कहते हुए हाई कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के समक्ष लंबित मामला बंद कर दिया । फैसले से स्पष्ट है कि जिन मामलों में 1995 का वक्फ एक्ट लागू होने से पहले सिविल कोर्ट. द्वारों मालिकाना हक के बारे में निर्णय दिए जा चुके है, उन मामलों में वक्फ ट्रिब्यूनल को सुनवाई का अधिकार नहीं है और न ही वक्फ इंस्टीट्यूटशन उस संपति को विवाद रजिस्टर में रखने का अनुरोध कर सकता है। यानी कोई कभी भी वक्फ ट्रब्युनल जाकर किसी संपत्ति के वक्फ संपत्ति होने का दावा नहीं कर सकता।

हाईं कोर्ट के सामने विचारणीय प्रश्न था कि जिस संपत्ति के बारे में सिविल कोर्ट 1978 में फैसला दे चुका है, क्या उसमें वक्फ ट्रिब्युनल को 2024 में दाखल वाद पर सुनवाई का अधिकार है। हाई कोर्ट ने वक्फ कानून की धारा-7 उपधारा (5) और धारा-6 की उपधारा (1) की जांच की, जिसमें पाया कि अगर सिविल कोर्ट ने वक्फ कानून 1995 के लागू होने से पहले उस संपत्ति से संबंधित किसी मुदे पर फैसला दे दिया है, तो वक्फ ट्रिब्युनल को उसी मुदे पर फिर से सुनवाईं का अधिकार नहीं है।

यह था मामला

ये फैसला जस्टिस सुब्बा रेड्डी सत्ती ने 16 जून को कालीमेला किरन कुमार की रिट याचिका स्वीकार करते हुए दिया। कालीमेला की मांग थी कि वक्फ ट्रि्यनल को उसकी संपति के मालिकाना हक के बारे में सुनवाई से रोका जाए। क्योंकि सिविल कोर्ट 45 वर्ष पहले फैसला सुना चुका है जिसमें कहा गया था कि संपत्ति वक्फ नहीं है । कालीमेला को यह रिट सिविल कोर्ट का फैसला आने के बाद दाखिल करनी पडी ।

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