सार्थक एप बना दिया, लेकिन अतिथि विद्वानों के लिए अब तक सार्थक नीति नहीं बनाई। प्राचार्य द्वारा सार्थक एप पर लगाई फर्जी अटेंडेंस।

” बगैर जांच और सौतेले व्यवहार से कमिश्नर ने अतिथि विद्वानों का आमंत्रण किया निरस्त, लेकिन हाइकोर्ट से स्टे ”

” प्राचार्य द्वारा बनियान में घर से सार्थक एप पर लगाई फर्जी अटेंडेंस के बावजूद कार्यवाही नहीं ”

प्रदेश की मोहन सरकार ने उच्च शिक्षा विभाग में अटेंडेंस पारदर्शिता के लिए सार्थक एप से अटेंडेंस जरूर लागू करवा दी है। लेकिन अतिथि विद्वानों के भविष्य के लिए अब तक सार्थक नीति नहीं बनाई है। जबकि पिछली सरकार में वर्तमान सीएम उच्च शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं। इनकी पंचायत भी बुलाई थी। जिसकी घोषणाएं अब भी पूरी नहीं की गई है। बल्कि ट्रांसफर की 17 जून अंतिम तिथि के बाद भी मेल पर ट्रांसफर किए गए। अब तक 550 के करीब आंकड़ा पहुंच गया है। अतिथि विद्वान बेरोजगार हो गए हैं। पीएम कॉलेजों में 616 रिडिप्लायमेंट सहायक प्राध्यापकों से भी सैकड़ों अतिथि विद्वानों को बेदखल करने की मोहन सरकार की तैयारी है। इनमें अनेकों एकल पद से आए सहायक प्राध्यापकों को भी रसूखदारों के प्रभाव से रोक रखा है। वहीं उच्च शिक्षा विभाग के कमिश्नर ने रहली जिला सागर, गंजबासौदा जिला विदिशा, हनुमना जिला रीवा, श्योपुर, खडडी जिला सीधी के शासकीय महाविद्यालयों के अतिथि विद्वानों को सार्थक एप पर छेड़खानी करने के कारण संबंधित महाविद्यालय के प्राचार्य को अतिथि विद्वानों का आमंत्रण निरस्त करने का आदेश दिया है। साथ ही फर्जी उपस्थिति दिवसों की 6 प्रतिशत ब्याज के साथ वसूली के निर्देश भी है।लेकिन रहली और गंजबासौदा के प्राचार्य द्वारा भी फर्ज़ी उपस्थिति और मानदेय भुगतान किया गया है। इनमें रहली के प्राचार्य को तो निलंबित कर दिया गया। लेकिन गंजबासौदा के प्राचार्य डॉ. सोहन यादव ने बनियान में घर से सार्थक एप पर छेड़खानी कर उपस्थिति लगाई है जिनके विरूद्ध उच्च शिक्षा विभाग ने कोई कार्यवाही नहीं की है।

जिसे अतिथि विद्वानों ने सौतेला व्यवहार करार दिया है। वहीं 5 अक्टूबर 2023 की अतिथि विद्वान नीति के बिन्दु 10.1 में 15 दिवस तक लगातार अनुपस्थित रहने एवं अनुशासनहीनता की प्रवृत्ति रखने वाले अतिथि विद्वानों को अयोग्य करार देने का प्रावधान है। परंतु उन्हें नोटिस, चेतावनी और एक माह तक सुधरने का अवसर दिए बगैर ही कमिश्नर ने केवल सार्थक एप पर छेड़खानी के कारण आमंत्रण निरस्त करने का आदेश दे दिया। जिसके एवज में हाईकोर्ट ने अतिथि विद्वानों की बगैर जांच पड़ताल किए आमंत्रण निरस्ति पर स्टे दे दिया है। मध्य प्रदेश संयुक्त अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश संयोजक डॉ. सुरजीत सिंह भदौरिया ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अतिथि विद्वानों के विरुद्ध कमिश्नर द्वारा एक पक्षीय कार्यवाही करना न्यायसंगत नहीं है। अगर सभी की लोकेशन ट्रेस करके जांच की जाए तो अतिथि विद्वानों से कहीं गुना नियमित प्रोफेसरों की पोल खुल जाएगी।संघर्ष मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी शंकरलाल खरवाडिया ने भी इस बारें बताया कि हाल ही में हुए ट्रांसफर से स्कूल शिक्षा विभाग ने परीवीक्षा अवधि के ट्रांसफर कैंसिल कर दिए, लेकिन उच्च शिक्षा विभाग ने सन 2021 से 2023 के बीच दर्जनों ट्रांसफर परिवीक्षा अवधि में सहायक प्राध्यापक भर्ती 2017 के चयनितों के किए थे। उनके निरस्त क्यों नहीं हुए। पीएम कॉलेज झाबुआ में एकल पद के सहायक प्राध्यापकों को क्यों अब तक रोक रखा है। क्या उच्च शिक्षा विभाग अपने ही बनाए नियमों पालन नहीं करता। ऐसा लगता है कि केवल अतिथि विद्वानों को ही सताया जा रहा है। उनके बच्चों का दाना – पानी छीना जा रहा है।

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