सरकार अतिथि विद्वानों को वर्षों से पिलाती आई है झूठ की घुट्टी
” सहानुभूति दिखाकर उचित समाधान निकालना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए ”
” इन उच्च शिक्षितों का भविष्य ढ़ाई दशक से केवल बनता आया है मजाक ”
राज्य के सरकारी कॉलेजों में पिछले 25 वर्षों से सहायक प्राध्यापक, ग्रंथपाल और क्रीड़ा अधिकारी पदों के विरुद्ध अतिथि विद्वानों का उपयोग प्रति पीरियड और प्रति दिवस की दिहाड़ी पर लगातार होता आया है। इस व्यवस्था में रहते अब तक 50 अतिथि विद्वान तो स्वर्ग सिधार गए हैं। उनका परिवार अब भी दयनीय स्थिति में जिंदगी गुज़र बसर कर रहा है। इनको सन 2002 से प्रदेश में सत्ता में रही कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही सुरक्षित भविष्य देने और अनुभव लाभ देने जैसा भरोसा देकर ठगा है। बीजेपी ने तो इन्हें पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती से लेकर वर्तमान मोहन सरकार तक केवल झूठ की घुट्टी ही पिलाई है। परिणाम स्वरूप अनेकों अतिथि विद्वान 50 से लेकर 60 साल तक की उम्र पार चुकें हैं।
10 साल अनुभव अधिभार केवल एक ढ़कोसला मात्र :
मंत्रालय उच्च शिक्षा विभाग द्वारा 5 अक्टूबर 2023 को जारी अतिथि विद्वान नीति / निर्देश के बिन्दु क्रमांक 9.2 में पीएससी से नियमित सहायक प्राध्यापक, ग्रंथपाल और क्रीड़ा अधिकारी की भर्ती में अतिथि विद्वानों को 10 साल आयु में छूट देने का प्रावधान किया गया है। लेकिन कॉलेजों में रिक्त पदों के विरुद्ध अतिथि विद्वान भर्ती में इन्हें मात्र एक साल के 4 अंक के मान से अधिकतम 5 साल के 20 अंक से ज्यादा का लाभ नहीं मिलता है। जिसके कारण पुरानी पद्धति से पीजी करने वाले अतिथि विद्वान नवीन सेमेस्टर पद्धति से पीजी धारक उम्मीदवारों से मेरिट में पिछड़ जाते हैं। क्योंकि उनके सीसीई, प्रोजेक्ट के अंक व चार सेमेस्टर के अंको का योग प्लेन पीजी वालों से अधिक बनता है। अतिथि विद्वान मेरिट के निर्धारण की गणना पीजी के प्राप्तांक प्रतिशत को अंक मानते हुए प्राप्त अंकों में से 50 घटाकर उसमें केटेगरी, अध्यापन अनुभव आदि के अधिभार को जोड़कर की जाती है। जिसे अतिथि विद्वानों ने एक ढ़कोसला मात्र करार दिया है।
पंचायत की घोषणा के आदेश अब तक नहीं हुए जारी :
इतना ही नहीं 11 सितंबर 2023 की अतिथि विद्वान पंचायत में तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान और वर्तमान सीएम व पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में अतिथि विद्वानों की पंचायत में भी इन्हें अतिथि विद्वान व नियमित भर्ती में 10 प्रतिशत तक अनुभव का बेनिफिट देने की घोषणा हुई थी। जिसके आदेश अब तक जारी नहीं हुए हैं।
फ्यूचर को बना दिया है मजाक :
मध्य प्रदेश संयुक्त अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश संयोजक डॉ. सुरजीत सिंह भदौरिया ने अनिश्चित फ्यूचर को लेकर बताया कि कॉलेजों में उच्च शिक्षित अतिथि विद्वानों से ही सबसे अधिक काम लिया जाता है। इसके बावजूद भी हमारे भविष्य के साथ सरकार मजाक ही कर रही है। विधानसभा चुनाव से भाजपा सरकार ने पंचायत में जो 10 प्रतिशत अध्यापन अनुभव का फायदा पहुंचाने और भविष्य सुरक्षा की जो घोषणा की थी, वह अब भी मंत्रालय उच्च शिक्षा विभाग में केवल आयटम नंबर बनकर फाइलों में दब गई है। अतः प्रति दिवस की दिहाड़ी को समाप्त करके केबिनेट से अन्य राज्यों की नीति वर्तमान मोहन सरकार को अपनानी चाहिए। नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता शंकरलाल खरवाडिया ने भी अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा है कि अतिथि विद्वान भर्ती और नियमित भर्ती दोनों में ही 10 प्रतिशत अनुभव का बेनिफिट नहीं मिलने से पुराने अतिथि विद्वानों को मेरिट लिस्ट में पिछड़ना पड़ता है।
वास्तव में 5 साल से ज्यादा का लाभ नहीं मिलने के कारण अनेकों फॉलेन आउट अतिथि विद्वानों को सालों तक बेरोजगार भी रहना पड़ा है। अतः मध्य प्रदेश के अतिथि विद्वान मोहन सरकार से यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि, चुनावी वादों और घोषणाओं को केवल कागजों तक सीमित न रखें। सहानुभूति दिखाकर उचित समाधान निकालना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।