शिक्षा से शिक्षित होकर समझदार होना आवश्यक है।

एक समय की बात है, मेरे अनुज मेरे साथ बैठे थे और सामाजिक विकास और आर्थिक सुधार जैसे विषय पर स्वत: ही बात शुरू हो गई थी बातचीत युवाओं पर आ कर रुक सी गई। उस बात में युवकों के नशे में लिप्त होने की चर्चा पर चिंता थी।

एक अनुज ने सहजता से कहा कि भैया वो जब एक सामाजिक कार्यक्रम में गया था तब वहां उसे समिति से मुख्य सदस्यों ने हर बार समाज के कार्यक्रम में आने का आग्रह किया साथ ही युवा ग्रुप में विशेष दायित्व देने की बात भी कही।

अनुज ने वहीं बात को ध्यान में रखते हुए विनम्रता से कहा कि is कार्य में मेरी क्या आवश्यकता हो सकती है। समिति मुख्य सदस्य ने उदारता पूर्वक कहा कि आप युवा हो और हम चाहते हैं कि आप और आपके साथी युवाओं को समझाइश दे कि वे सामाजिक कार्यक्रमों में शराब, भंग, या अन्य कोई नशा न करें और आप आपकी टीम के साथ मिलकर यह देखे की सामाजिक कार्यक्रम में कोई युवा नशा करके to नहीं आया है इस बात का ध्यान रखें और इसकी चिंता भी करे।

अनुज ने उनको कहा कि आपका यह प्रयोग विफल होगा इसमें विवाद के साथ घ्रणा होगी और क्रोध वश वह नशा अधिक करेगा। सामने से प्रश्न आया तो इसका उपाय क्या है।

उसने बताया इसका उपाय है शिक्षा, आप अपने समाज ke बच्चों को शिक्षित करें, जब वे शिक्षित होंगे तो ज्ञान से भरपूर हो जायेगे और शिक्षित से समझदार बनेंगे तब स्वयं ही ये जान जायेगे की जीवन में नशा करने की कोई आवश्यकता नहीं है, और फिर वे पैसा कमाने की इच्छा रखते हुए काम करने लगे जायेगे।

बहरहाल स्वस्थ शिक्षा, संस्कृति शिक्षा, व्यवहारिक शिक्षा जो बच्चों को घर से मिलती है फिर इसके साथ जब शैक्षणिक शिक्षा मिल जाए तो बच्चा समझदारी की सीढिया चढ़ना शुरू कर देता है।

अतः बच्चों को विद्यालय के साथ साथ घर की शिक्षा भी अतिआवश्यक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *