शासन चाहें तो सुपर न्यूमरेरी या डाइंग कैडर बनाकर अतिथि विद्वानों का कर सकती हैं भविष्य सुरक्षित।
” 14 नवंबर 2024 के हरियाणा मॉडल से भी मिली है सेवा सुरक्षा”
” एमपी में तो ट्रांसफर से अतिथि विद्वानों को कर रहे हैं बेरोजगार”
प्रदेश की मोहन सरकार अगर चाहें तो शासकीय महाविद्यालयों में कई सालों से सेवा देने वाले अतिथि विद्वानों के लिए कैबिनेट से सुपर नयूमरेरी पद निर्मित करके नियमित कर सकती हैं। क्योंकि 1985 में तदर्थ सेवा से महाविद्यालयों में भर्ती हुई थी।
800 के करीब को 1998 में इसी नियम से सहायक प्राध्यापक का दर्जा दिया गया था। दूसरा तरीका अतिथि विद्वानों का एक डाइंग कैडर बनाकर भी नियमित कर सकते हैं। इसके अन्तर्गत जैसे ही वे रिटायर्ड होंगे, उनका पद समाप्त हो जाएगा। वहीं अतिथि विद्वानों के सन्दर्भ में 14 नवंबर 2024 को हरियाणा सरकार द्वारा पारित मॉडल भी उपयुक्त है। जिसमें अतिथि प्राध्यापकों को सेवा सुनिश्चितता देते यूजीसी का मूल वेतन, डीए और अवकाश की पात्रता दी गई है।
हाल ही में बिहार सरकार भी ऐसा ही कर चुकीं है। ज्ञातव्य है कि मध्य प्रदेश में अतिथि विद्वान व्यवस्था को 23 साल से अधिक समय हो चुका हैं। इनको अलग – अलग कालखंड दर पर केवल 6 अथवा 7 माह तक रखा जाता था। जिससे इन्हें 7 या 8 हजार रुपए प्रतिमाह ही मिल पाते थे। 11 सितंबर 2023 को पूर्व सीएम शिवराजसिंह चौहान के समय आयोजित पंचायत से इन्हें 2000 रूपए प्रति कार्य दिवस मानदेय दिया जाने लगा है। प्रदेश भर के महाविद्यालयों में 4800 के लगभग इनकी संख्या है। इनमें से ज्यादातर की अन्य रोजगार पाने की उम्र निकल गई है। यूजीसी की अनिवार्य शर्तों पर ही इन्हें अतिथि विद्वान बनाया गया है।मध्य प्रदेश अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश संयोजक डॉ. सुरजीत सिंह भदौरिया ने इस संबंध में कहा कि – अतिथि विद्वानों की स्तिथि बहुत ही दयनीय है। लम्बे अनुभव के बाद भी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। मोहन सरकार डाइंग कैडर अथवा हरियाणा मॉडल से ही हमारे शेष जीवन को सुरक्षित कर दें।संघर्ष मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता शंकरलाल खरवाडिया ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि – अन्य स्टेट की तरह भविष्य सुरक्षा देने की बजाय हमें ट्रांसफर से फॉलेन आउट किया जा रहा है। पीएम कॉलेज के अतिथि विद्वानों पर पिछले 6 माह से रिडिप्लायमेंट कर दिया गया है। उच्च शिक्षितों का अचानक रोजगार छीनना न्यायसंगत नहीं है।