लव जेहाद: प्रेम के नाम पर धर्म परिवर्तन का खेल
✍️ डॉ बालाराम परमार ‘हॅंसमुख’
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आजकल भारत एवं बांग्लादेश सहित एशिया के देशों में जहां भी हिंदू धर्म को मानने वाले लोग रह रहे हैं,उन देशों में प्रेम की आड़ में धर्म परिवर्तन का घिनौना खेल ‘लव जिहाद’ खेला जा रहा है। जिसका मुख्य उद्देश्य हिंदुस्तान के खिलाफ एक मजहब विशेष के कुछ अराजक तत्वों द्वारा जनसंख्या वृद्धि युद्ध एवं अंतरराष्ट्रीय साजिश के तहत वर्चस्व स्थापित करना है। लव जिहाद खेल में सबसे ज्यादा हिन्दू लड़कियों को शिकार बनाया जा रहा है। उन्नीसवीं सदी के अंत में केरल राज्य से शुरू हुए इस घिनौने खेल की लौ में सम्पूर्ण हिंदू समाज झुलसने लगा है। हिन्दू धर्मावलंबी में दहशत फैली हुई है।
दुर्भाग्य की बात यह है कि तथाकथित प्रेम की दुकान खोलने वाले सेक्युलरवादी और लिब्रल कम्युनिस्ट इसे प्रेम प्रसंग और जीवन जीने की आजादी मानते हैं। जबकि
प्रेम विवाह और लव जिहाद एक विषय न हो कर दो अलग-अलग ध्रुव है। प्रेम विवाह में दोनों पक्षों की सहमति होती है, जबकि लव जिहाद में एक पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष को धोखा दिया जाता है । प्रेम विवाह में धर्म परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होती, जबकि लव जिहाद में अश्लील वीडियो बना कर वायरल करने और जान से मारने की धमकी देकर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डाला जाता है। प्रेम विवाह में व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान होता है, जबकि लव जिहाद में व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन होता है।
यद्यपि केन्द्र सरकार द्वारा अभी तक लव जिहाद को परिभाषित नहीं किया है लेकिन इस मायाजाल के जुगल से छुटकर लडकियां बाहर निकली और उनके हालात सामने आएं है उसके आधार पर लव जिहाद को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है। “जब एक धर्म विशेष को मानने वाला व्यक्ति दूसरे धर्म की लड़कियों को प्यार के जाल में फंसा कर किसी प्रकार का प्रलोभन देकर या विवाह के जरिए धर्म परिवर्तन करवाता है तो इस प्रक्रिया को लव जिहाद कहा जाता है।”
लव जिहाद दो शब्दों से मिलकर बना है । इसमें ‘लव’ अंग्रेजी भाषा का शब्द है। इसका मतलब है प्यार,इश्क और मोहब्बत। जबकि ‘जिहाद’ अरबी भाषा का शब्द है। इसका मतलब होता है धर्म की रक्षा के लिए युद्ध करना ।
पिछले दो दशक से विभिन्न न्यायालयों द्वारा लव जिहाद के मामले में निर्णय देते समय की गई टिप्पणियों के आलोक में लव जिहाद एक विवादित और संवेदनशील मुद्दा बन गया है। क्योंकि इसमें प्रेम दो दिलों का मिलन न होकर इस्लामी कट्टरपंथियो का जिहाद है। इसके लिए बाकायदा मदरसों और -मजिस्दों में युवाओं का ब्रेनवॉश किया जाता है। सिलसिलेवार बताया जाता है कि हिंदू लड़की को किस तरह फँसाकर उससे संबंध बनाएँ, उनसे निकाह करें और फिर लालच देकर धर्म परिवर्तन के लिए तैयार करें। लालच से लड़की तैयार नहीं होती है तो उनकी अश्लील वीडियो बना कर वायरल करने की धमकीं दें। फिर भी हालत तुम्हारे पक्ष में नहीं बनते हैं तो क़त्ल कर दिया जाए। ऐसा करने पर जन्नत मिलेगी। सफल युवाओं को बकायदा लाखों रुपए की इनाम राशि दी जाती है। इस लालच में कथित तौर पर मुस्लिम पुरुष हिंदू नाम रखकर सोशल मीडिया पर हिंदू युवतियों को झांसें में लेकर प्रेम का ढोंग करते हैं। जब हिन्दू लड़की प्रेम जाल में फंस जाती तब शादी के बहाने धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश करते हैं। इसके अलावा लव जिहाद से संबंधित कुछ और भी कारण सामने आए हैं। जिन पर रोशनी डालना जरूरी है।
यह देखा गया है कुछ मुस्लिम समूहों में धार्मिक कट्टरता की भावना होती है, जो उन्हें अन्य धर्मों के खिलाफ किसी न किसी रूप में कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करती है। गरीबी और शिक्षा की कमी के कारण कुछ युवा लालच में हिन्दू लड़कियों को प्रेम जाल में फसाने में जुट जाते हैं। कुछ हिन्दू लड़कियां भी गरीबी और अशिक्षा के चलते उनकी ख्वाहिश पूरी करने पर धन लुटाने वाले युवकों के मकड़जाल में फंस जाती है। लड़की पर जब धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया जाता है तब असलियत का पता चलता है। तब तक सब कुछ लुट चुका होता है।मामला उजागर होते ही हिन्दू संगठन विरोध करते हैं। पुलिस प्रशासन पर कानूनी कार्रवाई के लिए दबाव बनाया जाता है। तब कहीं जाकर युवतियां कानून का सहारा लेती है या फिर आत्महत्या करने पर उतारू हो जाती है।
एक रिपोर्ट के अनुसार लव जिहाद में फंसीं 10% लड़कियां आत्महत्या, 14% लड़कियां धर्म परिवर्तन तथा 85% लड़कियां ही कानून का सहारा लेकर घर वापसी करतीं हैं और 1% लड़कियों की हत्या कर दी जाती है।
लव जिहाद के मामले में अधिकांश कट्टर इस्लामिक संस्थाएं एवं जिहादी संगठनों की सक्रियता के कारण भारत में धार्मिक -सामाजिक संकट पैदा हो गया है। क्योंकि अधिकांश इस्लामिक धर्म गुरु लव जिहाद की निन्दा नहीं करते हैं ? बल्कि कट्टरता के कारण लव जिहाद को सही मानते हैं। इस्लाम में ज़ोर जबरजस्ती धर्म परिवर्तन की अनुमति है। इसलिए कुछ धर्म गुरु लव जेहाद को धार्मीक आधार पर जनसंख्या बढ़ाने का एक तरीका मानते हैं और अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को बचाने के लिए लव जेहाद का समर्थन करते हैं। भारत के संदर्भ में एक और तथ्य उभरकर सामने आया है कि भारत के अधिकांश इस्लामिक धर्म गुरु अन्य इस्लामिक देशों के गुलाम हैं । इन देशों से कई तरह की मदद मिलती है। कृतज्ञ होने की वज़ह से चहाते हुए भी लव जिहाद की निन्दा नहीं कर पाते हैं।
कारण कुछ भी हो, इस गैर कानूनी और गैर पारंपरिक धिनोनी मानसिकता से निजात पाने का तरीका देश में अमन पसंद हिंदू और मुसलमान दोनों समाज को ढुंढना पड़ेगा। अन्यथा देश में सक्रिय ‘टुकड़े टुकड़े गेंग’ और कट्टरपंथी राजनीतिक दल इसका वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करेंगे। जिससे प्रजातंत्र का निर्मल नभ धुमिल होने का खतरा है।
सरकार के कानूनी प्रयासों के अलावा दोनों धर्म के आम जन की ओर से पहला क़दम युवक-युवतियों को शिक्षित करना और उन्हें धर्म परिवर्तन के नुकसान बारे में जागरूक करना होगा। दुसरा, इस्लाम शांति, प्रेम और सहिष्णुता की शिक्षाएँ देता है और लव जिहाद इन शिक्षाओं के विरुद्ध है। अतः इस्लामिक संस्थाओं का फ़र्ज़ बनता है कि लव जिहाद जैसी घिनौनी हरकत पर पाबंदी लगाएं। साथ ही साथ कट्टपंथी लव जिहाद के नाम पर धन मुहैया करवाने वालों पर पाबंदी लगाएं। हिन्दू धर्मावलंबी लड़की से शादी करने पर जन्नत मिलने की अफवाहों पर विराम लगाएं।
वहीं हिंदूवादी संस्थाओं को भी चाहिए कि बेटियों को घर पर अच्छे संस्कार देने की व्यवस्था करें। उन्हें समझाएं कि फरेबी और झांसेबाज लड़कों के प्रेम जाल में न फंसे। माता-पिता गरीब है लेकिन उनकी भी समाज में प्रतिष्ठा है। ग़लत कदम माता-पिता की आशा और विश्वास को खत्म कर देता है। पीड़ित महिलाओं को सामाजिक समर्थन प्रदान करना चाहिए।
केन्द्र व राज्यों की सरकार को भी चाहिए कि धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डालने वालों के खिलाफ कड़ी सजा देने का प्रावधान करें। कानूनी कार्रवाई त्वरित और निष्पक्ष संबंधी कानून बनाने चाहिए और इसकी जानकारी सर्वसुलभ होनी चाहिए। गरीब परिवारों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाने की प्रक्रिया में तेजी लाना चाहिए। विद्यालयीन शिक्षा में लव जिहाद की बुराइयां संबंधित पाठ शामिल करना चाहिए।
धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने और धर्मों के बीच समझ को बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए। शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से धर्म परिवर्तन के खिलाफ आवाज उठानेवाले कार्यकर्ता की क्षमता का विकास किया जाना चाहिए। पुलिस प्रशासन की भुमिका सुनिश्चित की जानी चाहिए।
भारत में विद्यमान सभी धार्मिक संगठनों की भूमिका धर्म परिवर्तन के खिलाफ होनी चाहिए। धर्म परिवर्तन के नाम पर प्रेम के साथ खिलवाड़ के खेल को धार्मिक आपदा घोषित किया जाना चाहिए।
इसके खिलाफ लड़ने के लिए सभी धार्मिक संस्थाओं को एकजुट होना होगा। शिक्षा, जागरूकता और कानूनी कार्रवाई के सफल संचालन में ही इस समस्या का समाधान निहित है।