मूक पशुओ की दरिंदगी के साथ कटिंग- बिना अनुमति झाबुआ में बैखौफ पाड़े का बिक रहा मांस। अवैध बूचड़खाने से बेखबर पुलिस- नगर पालिका कार्यवाही करने में असक्षम।
03 Sep 2023
शहर में पुलिस किसी बात से बेखबर हो ऐसा सम्भव नहीं है फिर भी शिकायत पर पुलिस बहुत ही आसानी से इंकार कर देती है और हाथ पीछे कर चुपचाप अवैध कार्यों को होता तमाशा देखती है।
झाबुआ में ऐसे तो बहुत से कार्य अवैध रूप से सुचारू हो रहे है। जिसमें से एक है भैस और पाड़े की काटने का और इस मूक जानवर के मांस का व्यापार का।
सूत्रों के मुतबीक खाकी और सफेद पोशाक धारियों का अदृश्य सहयोग इन कसाइयों को मिल रहा है जिसके बल बूते पर ये लोग सामाजिकता से परे हट कर मूक और मासूम पशुओ का कत्ल कर देते है फिर इनके मांस का व्यापार करते है जो की पूरी तरह से अवैध है।
इस पर नगर पालिका भी स्वयं को बेखर बताती है जबकि झाबुआ नगर पालिका के पीछे ही यह कुकृत्य किया जाता है।
इस सम्बंध में एक शिकायत कर्ता ने शिकायत कर ऐसे अवैध कार्य को बन्द करवाने की मांग भी की है।
भैस और पाड़ा काटने और इनके मांस के बिक्री के सम्बंध में झाबुआ कोतवाली प्रभारी तुरसिंह डावर से जब बात की गयी तो बड़ी ही सहजता से जवाब मिला की उनको इस बारे में पता नही है कार्यवाही के नाम पर यह जरुर कहा कि हां मैं इसे दिखवाता हुं।
शहर की शराब दुकान के पीछे वाले मोहल्ले में पाड़े काटने और मांस बैचने का कार्य धडल्ले से चल रहा है।
झाबुआ नगर पालिका से जब जानकारी ली गयी तब नगर पालिका अध्यक्ष ने बताया कि पाड़ा काटने और मांस बैचने का लाइसेंस झाबुआ में किसी के पास भी नहीं है। बहुत पहले नगर पालिका द्वारा 3 लोगों को एनओसी दी गयी थी मगर वह भी शायद नियम के अनुसार नहीं होने पर निरस्त कर दी गयी थी। फिलहाल तो किसी भी के पास पाड़ा काटने और उसका मांस बैचने की अनुमति या एनओसी नहीं है।
अवैध रूप से चल रहे इस मूक पशु के काटने के इस व्यापार पर कार्यवाही के नाम पर नगर पालिका अध्यक्ष ने पल्ला झाड़ लिया और प्रशासन पर जिम्मेदारी को ढौल दिया।
वहीं पशु विभाग के पास ऐसे कोई भी आवेदन नहीं आते है जिनमें पशुओं को काटने से पहले उनकी जांच की जाना होती है।
हालांकि सभी को सबकुछ पता है मगर सभी सबकुछ जानकर भी अंजान बनते है। झाबुआ नगर पलिका के पीछे ही मोहल्ले में रोज आधा दर्जन से ज्यादा पाड़े काटे जाते है। मगर मुंह खोलने से पहले जेब में अवैध व्यापारी माया का पहरा डाल देते हैं।
पुलिस की पहुंच शहर के कोने कोने तक है तो क्या गलियो में बहते मूक पशुओ के रक्त रत्ती भर भी खबर नहीं होगी। होती तो होगी मगर हर हफ्तें जेब में हरियाली हो जाती है।
नियमानुसार तो ये सब अवैध व्यापारी एक प्रकार से अपराधी है जो प्रतिदिन पाड़ो की हत्या कर उनको मौत के घाट उतारते हैं।
बहरहाल मूक पशुओ की हत्या को मूक बधिर बन कर देखते पुलिस विभाग और नगर पालिका इस अवैध कार्य को रोकने में स्वयं को असक्षम सा महसूस पा रहं हैं। क्युंकि नगर पालिका के नेता खाकी के वरिष्ठ और पक्ष विपक्ष की बड़ी राजनीती करने वाले सफेद पौशक नेता सहयोगी है।
नगर पालिका और पुलिस संयुक्त कार्यवाही करें तो झाबुआ के अवैध बूचड़खाने को खत्म किया जा सकता है।
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