महाशिवरात्रि “महायोग विशेष” महाशिवरात्रि वैज्ञानिक महत्व (रीमा महेंद्र ठाकुर )
महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों में महाशिवरात्रि का दिन बड़ा ही पावन और विशेष माना गया है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। अब ऐसे में इस दिन रात्रि में जागने का महत्व क्या है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह साल का अंतिम महीना होता है और इसे भगवान महादेव को समर्पित किया गया है। इसी महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का महत्वपूर्ण त्योहार आता है। महाशिवरात्रि हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का विशेष पूजन और व्रत किया जाता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजन करने से भगवान शिव अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। यह त्योहार भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण को व्यक्त करने का एक विशेष अवसर होता है। अब ऐसे में महाशिवरात्रि के दिन रात्रि में जागरण का विशेष महत्व है।
कथा के अनुसार, इस पवित्र रात्रि में भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन भगवान शिव ने अपने वैरागी जीवन को त्यागकर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। यही कारण है कि महाशिवरात्रि की रात भगवान शिव और माता पार्वती दोनों के लिए ही अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि की रात भगवान शिव और माता पार्वती भ्रमण पर निकलते हैं, और जो भी भक्त इस रात्रि में उनकी आराधना करता है, उस पर भगवान की विशेष कृपा बनी रहती है। इस रात में भगवान शिव और पार्वती का पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, और जीवन में सुख-शांति का वास होता है। महाशिवरात्रि की रात का न केवल धार्मिक महत्व है, बल्कि इसका वैज्ञानिक महत्व भी है। इस रात में ग्रहों और नक्षत्रों की एक विशेष स्थिति होती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन प्रकृति मनुष्य को परमात्मा से जुड़ने में मदद करती है। यही कारण है कि महाशिवरात्रि की रात को जागरण करने और ध्यान लगाने के लिए कहा जाता है। इतना ही नहीं, महाशिवरात्रि के दिन रात्रि में जागने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और व्यक्ति को उत्तम परिणाम भी मिलने लग जाते हैं। साथ ही व्यक्ति का भाग्योदय होता है। इसलिए महाशिवरात्रि की रात्रि को जरूर जागें और भगवान शिव का ध्यान करेंगी ,प्रकाश आपके मन की एक छोटी सी घटना है।
प्रकाश शाश्वत नही, यह सदा से एक सीमित संभावना है क्योंकि यह घट कर समाप्त हो जाती है। हम जानते हैं कि इस ग्रह पर सूर्य प्रकाश का सबसे बड़ा स्त्रोत है। यहाँ तक कि आप हाथ से इसके प्रकाश को रोक कर भी, अंधेरे की परछाईं बना सकते हैं। परंतु अंधकार सर्वव्यापी है, यह हर जगह उपस्थित है। संसार के अपरिपक्व मस्तिष्कों ने सदा अंधकार को एक शैतान के रूप में चित्रित किया है। पर जब आप दिव्य शक्ति को सर्वव्यापी कहते हैं, तो आप स्पष्ट रूप से इसे अंधकार कह रहे होते हैं, क्योंकि सिर्फ अंधकार सर्वव्यापी है। यह हर ओर है। इसे किसी के भी सहारे की आवश्यकता नहीं है। प्रकाश सदा किसी ऐसे स्त्रोत से आता है, जो स्वयं को जला रहा हो। इसका एक आरंभ व अंत होता है। यह सदा सीमित स्त्रोत से आता है। अंधकार का कोई स्त्रोत नहीं है। यह अपने-आप में एक स्त्रोत है। यह सर्वत्र उपस्थित है। तो जब हम शिव कहते हैं, तब हमारा संकेत अस्तित्व की उस असीम रिक्तता की ओर होता है। इसी रिक्तता की गोद में सारा सृजन घटता है। रिक्तता की इसी गोद को हम शिव कहते हैं।
भारतीय संस्कृति में, सारी प्राचीन प्रार्थनाएँ केवल आपको बचाने या आपकी बेहतरी के संदर्भ में नहीं थीं। सारी प्राचीन प्रार्थनाएँ कहती हैं, “हे ईश्वर, मुझे नष्ट कर दो ताकि मैं आपके समान हो जाऊँ।“ तो जब हम शिवरात्रि कहते हैं जो कि माह का सबसे अंधकारपूर्ण दिन है, तो यह एक ऐसा अवसर होता है कि व्यक्ति अपनी सीमितता को विसर्जित कर के, सृजन के उस असीम स्त्रोत का अनुभव करे, जो प्रत्येक मनुष्य में बीज रूप में उपस्थित है।और एक सार्थक समार्पण उस अंनत योगी परमात्मा को सौप सके ,जिससे ये शिव रात्रि महा रात्रि सम्पूर्णता प्राप्त कर सके””!
रीमा महेंद्र ठाकुर वरिष्ठ लेखक राणापुर, झाबुआ, मध्यप्रदेश, भारत।महाशिवरात्रि आलेख