मतदाता सूची के सघन पुनरीक्षण का अभियान देशभर में चलेगा।

नई दिल्ली : बिहार में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण अभियान को लेकर भले ही कांग्रेस सहित कुछ विपक्ष दलों की ओर से अभी भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट के रुख को देखने के बाद चुनाव आयोग अब इस मुहिम को देशभर में छेड़ने की तैयारी में है। वह जल्द इसकी अधिकारिक घोषणा भी कर सकता है। फिलहाल जो संकेत मिल रहे उनमें अगले दो सालों में इसे चरणबद्ध तरीके से सभी राज्यों में लेकर वह जाएगा। इसको शुरुआत अगले महीने से बंगाल, तामिलनाडु असम व केरल सहित पांच राज्यों से हो सकती है। इन सभी राज्यों में अगले साल विस के चुनाव भी हैं।

चुनाव आयोग से मिले संकेतों के बाद देश के सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों ने इसे लेकर तैयारी भी शुरू कर दी। आयोग से उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण अभियान को चरणबद्ध तरीके से वह सबसे पहले उन सभी राज्यों में लेकर जाएगा, जहां पहले विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में अगले साल यानी 2026 में जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, वहां मतदाता सूची का विशेष सघन पुनरीक्षण पहले होगा। इसके बाद जिन राज्यों में 2027 में चुनाव होंगे उन राज्यों में यह अभियान चलेगा। ऐसे में अगले दो सालों में देशभर में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनराक्षण का काम पूरा कर लिया जाएगा। माना जा रहा है कि इसके अंतिम मतदाता सूची के आने में करीब एक साल का और समय लग सकता है, क्योंकि पुनरीक्षण के बाद किसी भी गड़बड़ी पर चुनौती देने की भी व्यवस्था है।

सूत्रों के अनुसार, देश के अधिकांश राज्यों में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण इससे पहले 2002 से 2004 के बीच हुआ था, जबकि इसके बाद दिल्ली में 2008 में व उत्तराखंड में 2006 में किया गया था। ऐसे में आयोग का सबसे अधिक फोकस इस अवधि के बाद मतदाता सूची में शामिल हुए मतदाता पर है। बिहार में भी वह इन्हीं मतदाताओं से ‘ दस्तावेजों की मांग कर रहा है। आयोग का मानना है कि कोर्ट के दिशा-निर्देशों के बाद उसे इस काम को करने में आसानी होगी। गौरतलब है कि आयोग ने यह मुहिम तब शुरू की, जब काग्रेस समेत उसके सहयोगी दलों ने महाराष्ट्र विस चुनाव में हार के बाद वोटर सूची में गड़बडी के बड़े गंभीर आरोप लगाए थे।

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