भारत के प्रचंड पराक्रम से परास्त पाकिस्तान।
श्रीरंग वासुदेव पेंढारकर।
हां, हम चाहते थे कि युद्ध से स्थाई हल निकल जाए … हम तो चाहते थे कि पाकिस्तान टुकड़ों में बंट जाए और POK हमारा हो जाय। नहीं हुआ! नेतृत्व कुछ और सोच रहा है। नेतृत्व, परिस्थितियों को हमसे बेहतर समझता है। यदि उन्हें लगता है कि अभी सीजफायर राष्ट्र के लिए लाभदायी है तो वो ही सही। और कल परिस्थितियां बदल भी सकती है! हो सकता है, दुश्मन सीजफायर का उल्लघंन कर दे और युद्ध आवश्यक हो जाए। तो हम पुनः नेतृत्व के साथ ही रहेंगे।
एक बात स्पष्ट है, सर्वोच्च नेतृत्व में हमारा अखण्ड विश्वास है। उनकी नीयत पर, उनकी राष्ट्र निष्ठा पर हमे कोई शक नहीं है। हो सकता है, उनसे कहीं कोई त्रुटि भी हो जाए। जब उनके सही और दूरदर्शी निर्णयों का लाभ उठाते हैं, तो उनके गलत निर्णय की हानि भी हम ही उठाएंगे।
वर्तमान परिस्थिति अत्यन्त जटिल है। भारत और पाकिस्तान के अतिरिक्त चीन, अमेरिका, रूस, ईरान, तुर्की आदि कईं देशों के छोटे-बड़े हित-अहित यहां जुड़े हुए है। इतनी जटिल परिस्थिति में निर्णय, दिल से नहीं दिमाग से लिए जाते हैं। यह भी सत्य है कि हमने ही हमारी अपेक्षाएं इतनी बढ़ ली थी कि देश की सेनाओं ने जो प्रचण्ड पराक्रम दिखा कर अर्जित किया है, उसे हम नजरअंदाज कर रहे हैं।
विगत कुछ दिनों में पाकिस्तान को हमारी सेना ने जो गहरे आघात पहुंचाए हैं, वे ऐतिहासिक हैं। 8 एयर बेस बर्बाद कर दिए गए हैं, अनेक लॉन्चिंग पैड नष्ट कर दिए गए हैं, दुश्मन के प्रयासों को पूरी तरह विफल कर दिया गया और मिसाईल हमले से सैकड़ों आतंकवादियों को हलाक कर दिया गया। यह सब आज तक कभी नहीं हुआ। इससे पूर्व के युद्धों में भी नहीं। दुश्मन के तमाम प्रयासों के बावजूद देश का जन जीवन सामान्य रूप से चलता रहा। सीमा पर चल रही कार्यवाही की आंच आम जनता तक नहीं पहुंची।
जो हुआ वह बहुत ज्यादा हुआ है। हम और भी ज्यादा कि अपेक्षा रख रहे थे। ये वही हम हैं, जिन्होंने कसाब और उसके साथियों के मुंबई हमले के बाद कुछ भी अपेक्षा नहीं की थी। यही होता है। जो करता है, उससे अपेक्षाएं बढ़ जाती है।
परन्तु यदि इन अपेक्षाओं के परिपेक्ष में जो अर्जित हुआ है उसे नजरअंदाज करेंगे तो यह सेना और नेतृत्व का अपमान होगा।
आगे जो भी हो, हम हमारे नेतृत्व के साथ है। और अभी समय है हमारी सेना द्वारा अर्जित सफलता पर जश्न मनाने का। दीप जलाओ मित्रो, मिठाइयां बांटो और एक दूसरे को बधाइयां दो। हमने दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए हैं और उसे घुटनों पर ला दिया है। जरूरत पड़ी तो उसे पुनः बिना मुरव्वत के पेल दिया जाएगा। तब भी हम सेना और नेतृत्व के साथ ही रहेंगे।