भारत की पाकिस्तान पर विजय – 4 सहस्त्रबाहु।

वह दल है जिसने पाकिस्तान कि ओर से भेजे गए सैकड़ों ड्रोन और मिसाइलों को हवा में ही रोक दिया और देश के जान माल की कोई हानि नहीं होने दी। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटिश युद्धक विमान पायलटों के बारे में तत्कालीन प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल द्वारा कहा गया था “Never in the field of human conflict was so much owed by so many to so few” (मानवीय युद्धों के इतिहास में कभी भी इतने अधिक लोग इतने कम लोगों के इतने ऋणी नहीं रहे होंगे!) ये अमर शब्द सिर्फ संख्यात्मक दृष्टि से देखने पर इस भारतीय दल पर कईं सौ गुना अधिक लागू होते हैं। पाकिस्तान ने अपनी तमाम शक्ति दांव पर लगा दी थी। 8-9 मई की उस रात्रि में सैकड़ों ड्रोन और मिसाईल भारत के सैन्य ठिकानों और रहिवासी क्षेत्रों पर दागी गईं। यदि ये हमले सफल हो जाते तो भारत में इतनी तबाही होती जितनी शायद अब तक किसी युद्ध में नहीं हुई थी। एक तरह से पाकिस्तान ने अपनी सारी ताकत झोंक दी थी। अब्दाली जैसी मिसाईल, जो कि मध्यम दूरी की तीव्र गति वाली बैलिस्टिक मिसाइल है, का भी उपयोग किया गया।
परन्तु पूर्णतः देसी तकनीक से विकसित ‘आकाश’ प्रतिरोधी रक्षा व्यवस्था ने इन सभी हमलों को नाकाम कर दिया। ‘आकाश’ की इस सफलता ने पूरे विश्व को अचंभित कर दिया। सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, अमेरिका, चीन और रूस सहित सभी देशों के लिए यह अनपेक्षित था। वस्तुत: ‘आकाश’ की सफलता की एक बड़ी वजह ‘नाविक’ नामक दिशा निर्देश तन्त्र है जो कि पूर्णतः स्वदेशी तकनीक द्वारा विकसित है। ‘नाविक’ सामान्यतः उपयोग में आने वाले दिशा निर्देश तन्त्र GPS का स्वदेशी विकल्प है। ISRO द्वारा निर्मित नाविक भारत के आसपास 1500 किमी के क्षेत्र में GPS से भी अधिक सटीक दिशा निर्देश देता है। नाविक के दिशा निर्देश की सटीकता 3-5 मीटर तक रहती है! रोचक तथ्य यह है कि चूंकि नाविक भारत द्वारा भारत के लिए निर्मित है, अत: इसकी फ्रीक्वेंसी अन्य देशों के लिए चिन्हित नहीं है। इस वजह से पाकिस्तान के तन्त्र इसे पकड़ नहीं पाए। दूसरी ओर चीन, अमेरिका आदि देशों के तन्त्र की फ्रीक्वेंसी सभी के लिए परिचित है और उसे ट्रैक किया जा सकता है। इसी वजह से हमारी मिसाइलें सफलतापूर्वक लक्ष्य तक जा कर प्रहार कर पा रही थी, जबकि पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइलें हवा में ही नष्ट कर दिए गए। नाविक से लैस आकाश एक वृहद रक्षा व्यवस्था है, जो हमारे हवाई अड्डों और महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों की रक्षा करता है। आकाश भारत की ओर छोड़ी गई मिसाइलों को हवा में ही ढूंढ कर उन्हे हवा में ही नष्ट कर देता है। आकाश एक साथ कईं लक्ष्यों को भेद सकता है। भारतीय रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत कंपनी भारत डायनामिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित आकाश में सुरक्षा की एक के बाद एक कईं परतें हैं जिसमें अन्त में रूस से आयातित प्रसिद्ध S 400 तन्त्र रहता है। जिस रक्षा तकनीक के बाजार में आज तक सिर्फ इजरायल के आयरन डोम और रूस के S 400 तन्त्र का दबदबा रहा है, वहां आकाश आज एक अत्यन्त प्रभावी परन्तु कईं गुना सस्ता विकल्प बन कर उभरा है शांति काल में विकसित की गई किसी भी तकनीक की असली परीक्षा युद्ध के दरमियान ही होती है। आकाश और नाविक दोनों व्यवस्थाएं इस परीक्षा में शत प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण हुई है। वहीं चीन और तुर्की की तकनीकों की बकमियां उभर कर सामने आईं है। भारत गत एक दशक से रक्षा उद्योग में अपने पैर जमाने की कोशिश कर रहा है। आकाश और नाविक की सफलता से उसके उत्पादों की विश्वसनीयता में निश्चित ही बड़ा इज़ाफ़ा हुए है। आने वाले वर्षों में इस विश्वसनीयता के व्यापारिक लाभ प्राप्त होना तय है। मुश्किल समय में जब दुश्मन ने जैसलमेर से श्रीनगर तक करीब 1200 किमी की सीमा पर एक साथ बड़ा हमला बोला तब इस ‘आकाश’ तन्त्र ने किसी सहस्त्रबाहु कि तरह इन हमलों को नष्ट कर दिया। इन आधुनिक सहस्त्रबाहुओं का हृदय से आभार।

श्रीरंग वासुदेव पेंढारकर

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