भारत कि पाकिस्तान पर विजय – 3 क्या पाकिस्तान द्वारा अमेरिका को यह संकेत दिए गए कि वह परमाणु शक्ति का प्रयोग कर सकता है।
भारत कि पाकिस्तान पर विजय – 3 क्या पाकिस्तान द्वारा अमेरिका को यह संकेत दिए गए कि वह परमाणु शक्ति का प्रयोग कर सकता है और इसी वजह से ट्रंप द्वारा भारत पर सीजफायर स्वीकार करने का दबाव बनाया गया? क्या भारत के हमलों की वजह से पाकिस्तान में रेडियोधर्मी विकिरण हो रहा है? सोशल मीडिया पर ये दो विमर्श काफी वायरल हो रहे हैं।
क्या यह विमर्श तथ्यात्मक है? संभावना नगण्य है।
प्रबल संभावना यही है कि ये पाकिस्तान द्वारा रचे गए विमर्श है, जो सोशल मीडिया के माध्यम से चलाए जा रहे हैं। स्वाभाविक ही है कि प्रश्न उठता है कि पाकिस्तान ऐसा क्यों कर रहा है? और यह सत्य न होने की वजहें क्या है? सोशल मीडिया पर बताया जा रहा है कि भारतीय सेना द्वारा जो हमले किए गए उसमे पाकिस्तान की एक पहाड़ी विशेष पर भी बमबारी हुई है और यह कि उस पहाड़ी के गर्भ में पाकिस्तान का परमाणु हथियारों का जखीरा रखा जाता है और यह भी कि इस बमबारी से उस पहाड़ी से रेडियोधर्मी विकिरण हो रहा है या होने की आशंका है। यहां कुछ प्रश्न खड़े होते हैं। क्या भारतीय सेना जानती थी कि उस पहाड़ी में परमाणु हथियार का जखीरा है? यदि हां, तो क्या भारतीय सेना इतनी गैरजिम्मेदार है कि उस पहाड़ी को निशाना बनाए? यह भी उल्लेखनीय है कि भारतीय सेना के प्रहार सिर्फ और सिर्फ हवाई पट्टियों और हवाई अड्डों तक सीमित थे। एक भी मिसाईल या ड्रोन द्वारा हथियारों के संग्रह या पेट्रोल / डीजल आदि के संग्रह को निशाना नहीं बनाया गया। क्योंकि, जैसा कि कल सेना के उच्च अधिकारियों द्वारा स्पष्ट किया गया, आतंकवादी शिविरों को नष्ट करने के अतिरिक्त किसी प्रकार का विध्वंस करना भारतीय सेना का लक्ष था ही नहीं। हवाई अड्डों पर प्रहार, चेतावनी मात्र थे। संदेश यह था कि हम आपको नेस्तनाबूत कर सकते हैं, कर नहीं रहे! ऐसी स्थिति में परमाणु हथियार के संग्रह पर आक्रमण असम्भव है। और यह संयोग की पराकाष्ठा ही होगी कि भारतीय सेना द्वारा दागी गई कोई मिसाईल अपने लक्ष्य से भटक गई और सीधे वहीं गिरी जहां पाकिस्तान का परमाणु हथियारों का संग्रह है! फिर यह विमर्श क्यों चलाया जा रहा है? इसकी दो संभावनाएं नजर आती है। १. विगत कई दशकों से पाकिस्तान की नीति और राष्ट्रीय अस्मिता का आधार उसकी परमाणु शक्ति रहा है। पाकिस्तानी सतत यह कहते रहते हैं कि ‘आखिरकार हम एक परमाणु शक्ति हैं।’ वस्तुतः, वहां की जनता के पास गर्व करने के लिए यह एक ही घटना है। पाकिस्तान की यह खुली नीति रही है कि संकट की स्थिति में वह परमाणु शक्ति का ‘प्रथम उपयोग’ करेगा। इसी ‘प्रथम उपयोग’ की नीति को वह अपनी तमाम उपद्रवी गतिविधियों की ढाल बना कर किसी बड़ी कार्यवाही से बचता आया है। ‘हम आतंकवाद फैलाएंगे परन्तु यदि आप हम पर कार्यवाही करेंगे तो हम परमाणु शक्ति का उपयोग करेंगे’ इस धमकी की वजह से कसाब के आक्रमण और संसद पर आक्रमण जैसे कृत्यों के बावजूद पाकिस्तान पर कठोर जवाबी कार्यवाहियां नहीं हो पाई। परन्तु गत दस वर्षों में मोदी जी ने बारम्बार पाकिस्तान पर हमले किए, उसे नुकसान पहुंचाया और उसकी ‘प्रथम उपयोग’ नीति को खुली चुनौती दी है। उरी और पुलवामा के पश्चात की कार्यवाहियों को पाकिस्तान ने स्वीकार ही नहीं किया और अपनी जनता में अपनी छवि बनाए रखी। परन्तु 7 मई की कार्यवाही से बचना असम्भव है। अब पाकिस्तान के लिए विकट परिस्थिति बन गई है। यदि परमाणु शक्ति का उपयोग करता है तो वह विश्व में अलग थलग पड़ जाएगा और भारत के परमाणु हमले से बर्बाद भी हो जाएगा। यदि वह इस शक्ति का उपयोग नहीं करता तो उसकी छवि का मटियामेट हो जाएगा। ऐसी स्थिति में यह विमर्श चलाया जा सकता है कि पाकिस्तान के परमाणु शक्ति के उपयोग की बात चलने पर अमेरिका द्वारा भारत पर सुलह का दबाव बनाया गया। इस विमर्श के माध्यम से उसकी ‘प्रथम उपयोग’ की धमकी आगे भी निरन्तर रह सकती है। 2. एक संभावना यह भी है कि भारत पर यह आरोप लगाया जाए कि उसके द्वारा की गई बमबारी से मानवता के लिए रेडियो विकिरण का खतरा उत्पन्न हो गया है और यह कि भारत एक गैरजिम्मेदार देश है। चूंकि अब तक इस विषय पर पाकिस्तान सरकार की और से कोई आधिकारिक वक्तव्य या आरोप नहीं आया है, प्रबल संभावना यही है कि पाकिस्तान द्वारा अपनी छवि बनाए रखने हेतु यह विमर्श स्थापित किया जा रहा है कि सुलह के मूल में परमाणु शक्ति प्रयोग की धमकी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका प्रभाव पड़े ना पड़े, पाकिस्तान की जनता को इस भ्रम से दिलासा दिलाया ही जा सकता है।
श्रीरंग वासुदेव पेंढारकर