भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में जनजातीय नायक – नायिकाओं की भूमिका विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार।

” प्रथम पंक्ति में रहकर किया आदिवासी नायकों ने अंग्रेजों से मुकाबला “”

अनेकों वक्ताओं और शोधकर्ताओं ने किए अपने विचार प्रस्तुत “”

प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है आदिवासी नायक – नायिकाओं के शौर्य, बलिदान और त्याग का उल्लेख”

सोमवार को पीएम कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस शहीद चन्द्रशेखर आजाद शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय झाबुआ में प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान के अन्तर्गत ” भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में जनजातीय नायक – नायिकाओं की भूमिका ” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन प्रातः 9.30 बजे से शाम 5.00 बजे तक सम्पन्न हुआ।

वक्ताओं ने अपने विचार प्रस्तुत किए। इस सेमिनार में मुख्य अतिथि डॉ. आर. सी दीक्षित अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा इंदौर संभाग, विशेष अतिथि खेमसिंह जमरा अध्यक्ष जनभागीदारी समिति पीएम कॉलेज आफ़ एक्सीलेंस झाबुआ, विषय विशेषज्ञ वक्ता राजेश डावर प्रदेश उपाध्यक्ष भीमा नायक वनांचल सेवा संस्थान मप्र, रूपसिंह नागर प्रांत संयोजक जनजातीय विकास मंच इंदौर, डॉ. रविन्द्र सिंह प्रशासनिक अधिकारी, सेमिनार संयोजक डॉ. संजू गांधी, प्रकाश राठौर, लोकेश दवे जनभागीदारी समिति सदस्य आदि मौजूद थे।

सेमिनार की अध्यक्षता संस्था प्रमुख एवं प्राचार्य डॉ. जेसी सिन्हा ने की। इस सेमिनार में महाविद्यालय की पूर्व प्राध्यापिका डॉ. गीता दुबे, डॉ. प्रदीप कुमार संघवी, डॉ. सुरेश चंद्र जैन एवं जिले के अन्य महाविद्यालयों के प्राचार्य, प्रतिभागी, शोधार्थी व विद्यार्थी भी मौजूद थे। सेमिनार का संचालन डॉ. गोपाल भूरिया, सत्र संचालन डॉ. पुलकिता आंनद व आभार डॉ. अंजना सोलंकी ने माना।

मुख्य अतिथि डॉ. आरसी दीक्षित ने बड़वानी क्षेत्र के भीमा नायक पर प्रकाश डालते हुए बताया कि – स्वतंत्रता आंदोलन में अंग्रेजों द्वारा दी गई यातनाओं के बाद भी डटकर सामना किया और लोगों को गुलामी से मुक्ति भी दिलाई।विशेष अतिथि खेमसिंह जमरा ने कहा कि – हमारे जनजातीय महापुरुषों का उल्लेख महाभारत और प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। जिसमें उन्होंने बरबरी का भी जिक्र किया। इसलिए जनजातीय नायकों के इतिहास को जानना आवश्यक है।

विषय विशेषज्ञ वक्ता राजेश डावर ने अपने उद्बोधन में बताया कि – महाराणा प्रताप की सेना में आदिवासियों ने महती भूमिका निभाई थी और मुगलों की सेना को अपनी कला से अचंभित कर दिया था। इसलिए इतिहास में गुमनाम हमारे वीर जनजातीय महापुरुषों को खोजना होगा।वहीं विषय विशेषज्ञ वक्ता रूपसिंह नागर ने भी अपने विचार रखते हुए बताया कि – ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध जनजातीय नायक – नायिकाओं ने अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया है। फिर भी भारतीय इतिहास लेखन कार्य में उनको समुचित स्थान नहीं देना न्यायसंगत नहीं है।

संस्था प्रमुख डॉ. जेसी सिन्हा ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि – जनजातीय गौरव दिवस के माध्यम से वीर आदिवासी नायक – नायिकाओं को समाज की मुख्य धारा में लाना है। इतिहासविद डॉ. रविन्द्र सिंह ने भी भारत के आदिवासी नायकों की वीरता, शौर्य और बलिदान के बारे में बताया और कहा कि प्रथम पंक्ति में खड़े होकर मुकाबला करना आसान नहीं है। सम्पूर्ण सेमिनार दो सत्रों में आयोजित हुआ।

उस दौरान पीएम उषा प्रभारी डॉ. वीएस मेड़ा, डॉ. सुनील कुमार सिकरवार, डॉ. रीता गणावा, डॉ. रीना गणावा, मीडिया समिति प्रभारी डॉ. मनीषा सिसौदिया, शंकरलाल खरवाडिया, अंतिम कलवार, डॉ. अमित गोहरी, डॉ. रवि विश्वकर्मा, डॉ. पीएस डावर, जेएस भूरिया, डॉ. बीएल डावर आदि भी उपस्थित थे।

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