बार – बार कैलेंडर और नियम बदलने से अतिथि विद्वान हो रहें दुःखी
:-‘ इनका वर्तमान तक है भविष्य अंधकार में ‘एमपी के उच्च शिक्षा विभाग में कार्यरत अतिथि विद्वानों का भविष्य शिवराज सरकार में की गई पंचायत के बाद भी वर्तमान तक अधर में है। लेकिन इनके लिए नजदीकी महाविद्यालय में जाने के लिए अक्टूबर 2023 से बनाई गई स्थल परिवर्तन नीति का पालन भी ठीक से नहीं हो रहा है। इनको एक सत्र में एक बार स्थल परिवर्तन का अवसर दिया जाता है। परंतु उच्च शिक्षा विभाग ने सत्र 2023- 24 में जनवरी 2024 में और सत्र 2024 -25 में अक्टूबर 2024 में स्थल परिवर्तन प्रक्रिया पूरी की। उसके बाद सत्र 2025 -26 में अगस्त 2025 में स्थल परिवर्तन केवल कार्यरत के लिए हुआ।
वहीं 2 सितंबर को जारी कैलेंडर में कार्यरत के स्थल परिवर्तन के साथ पूर्व पंजीकृत नवीन अभ्यर्थियों को भी रिक्त पदों पर अतिथि विद्वानों की च्वाइस फिलिंग में शामिल कर लिया गया। लेकिन इसमें कार्यरत के लिए एक साल तक एक ही महाविद्यालय में कार्यरत होने की बाध्यता भी लागू कर दी गई। जबकि अतिथि विद्वान नीति अनुसार एक सत्र में एक बार स्थल परिवर्तन का नियम है। हर सत्र में अलग-अलग तिथियों में प्रक्रिया पूरी करने के कारण कार्यरत अतिथि विद्वानों को नजदीकी महाविद्यालय में जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
मध्य प्रदेश संयुक्त अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश संयोजक डॉ. सुरजीत सिंह भदौरिया ने बताया कि सहायक प्राध्यापक भर्ती की नियुक्ति से अतिथि विद्वानों के रोजगार पर खतरा मंडरा रहा है। सन 2002 से लेकर वर्तमान तक हमारा भविष्य अधर में लटका हुआ है। मोहन सरकार को हरियाणा राज्य की तरह कैबिनेट नीति पास करना चाहिए। संघर्ष मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी शंकरलाल खरवाडिया ने भी इस बारें कहा है कि बार – बार उच्च शिक्षा विभाग अतिथि विद्वानों के नियम व भर्ती कैलेंडर बदल देता है। स्थल परिवर्तन के साथ पूर्व पंजीकृत आवेदकों को भी शामिल कर रहा है। जो नीतिगत नहीं है। तरह -तरह से हमारे भविष्य के साथ मजाक किया जा रहा है। अतिथि विद्वान पंचायत की घोषणानुसार कार्यरत अतिथि विद्वानों के पदों को भरा हुआ माना जाना चाहिए।