पाँच माह से नहीं मिला मानदेय-परेशानियों से जुझ रहे उच्च शिक्षित।
प्रदेश के नवीन शासकीय महाविद्यालयों में सेवा देने वाले अतिथि विद्वानों को विगत पॉंच माह से मानदेय भुगतान नहीं किया गया है। इंदौर जिले के अन्तर्गत बेटमा, नंदानगर, खजराना, कम्पेल सहित प्रदेश के अनेकों नवीन शासकीय महाविद्यालयों की स्वीकृति पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा अगस्त एवं सितंबर 2023 में दी गई थी। जिनमें अध्यापन एवं अन्य कार्यों के लिए अतिथि विद्वानों से आनलाइन च्वाइस फिलिंग करवाकर मेरिट अनुसार नियुक्ति दी गई थी। जिनसे प्राचार्य काम तो नियमित फैकल्टी की तरह लेते आ रहें हैं। लेकिन इनको पॉंच माह बाद मानदेय भुगतान करने की सुध उच्च शिक्षा विभाग ने नहीं ली है।
बताया जाता है कि इन महाविद्यालयों में स्वीकृत पदों का मेपिंग विभाग की लापरवाही से अब तक नहीं होने से वित्त विभाग ने अब तक बजट ही आवंटित नहीं किया है। अनेकों बार अतिथि विद्वानों द्वारा मेल, ज्ञापन आदि अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य एवं उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दिया गया है। लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। जिससे इन महाविद्यालयों कार्यरत अतिथि विद्वानों को बेहद आर्थिक मुसीबत झेलना पड़ रही है।
अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता शंकरलाल खरवाडिया ने इस संबंध में बताया है कि – बेहद ईमानदारी और सत्य निष्ठा से सेवा देने के बाद भी पॉंच माह तक मानदेय भुगतान नहीं करना माननीय संवेदना का हनन है। हमारे बाल बच्चें एक – एक पैसे के लिए तरस गए हैं। लगातार उच्च अधिकारियों को निवेदन करने के बाद भी मानदेय भुगतान नहीं किया गया है।