नगरपालिका के समीप से अतिक्रमण हटाने में नाकाम सीएमओ और नगरपालिका अध्यक्ष।

सारे शहर को नगरपालिका अतिक्रमण मुक्त करवाने के लिए कार्यवाही कर रही है परंतु अपने समीप फैली पसरी अतिक्रमण की गंदगी को न तो देख पा रही है और न ही उसे दुरुस्त कराने के लिए कोई ठोस कदम उठा रही है। अतिक्रमण से भरा पड़ा यह रास्ता नगरपालिका के पास से होता हुआ अवैध मटन मार्केट, कुम्हार मोहल्ले की घाटी चढ़ते हुए मुख्य बाजार के करीब निकलता है। इस पूरे रास्ते पर अवैध कब्जा है, दिन में अवैध व्यापारियों का और रात को अवैध व्यापार सट्टा और जुआ खेलने वालो का कब्जा है। जानकार बताते है जानकारी पूरी होने के बाद भी न तो दिन के अवैध कार्यों पर नगरपालिका या प्रशासन का कोई सख्त कदम है न ही रात के अवैध कार्यक्रमों पर पुलिस की कोई नाकाबंदी है। क्योंकि जबावदारों को बंदी पहुंचाने के लिए बंदा बर्खुदार बामुलाइज़ा है।

अवैध मटन मार्केट में पटिया, पलंग लगा कर दुकानदारी करने वाले अतिक्रमण तो करते ही है साथ ही साथ नियमों के उलघंन के साथ स्वच्छता से भी परे होते है। ये दुकानदार सड़क पर दुकानदारी करते है जिसकी वजह से सड़क पर पैदल चलना भी दुभर हो जाता है, यदी दो पहिया वाहन का आवागमन हो तो और परेशानी, साथ ही अगर कोई चार पहिया वाहन उस रास्ते पर आ जाए तो जाम की ऐसी स्थिती कभी-कभी घंटेभर तक यथावत रहती है। अतिक्रमण से भरी पड़ी सड़क, सड़क न होकर व्यापार का स्थान दिखाई देता है, जबकि व्यापार करने के लिए व्यापारियों को काम्पलेक्स में दुकाने दी गई है, बावजूद उसके अवैध मांस व्यापारियों द्वारा अवैध अतिक्रमण कर पूरी सड़क को समाप्त कर दिया है। इस अवैध व्यापार की गली की दशा रवीवार को तो और भी दुखःदर्द से भरी होती है, जहां दुकानें नगरपालिका के गेट तक पहुंच जाती है।

शिकायत होने पर भी नगरपालिका द्वारा किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की जाती, तो कहने वाले भी कहते है कि, शहर साफ करने सीनातान कर निकलती नगरपालिका अक्सर मुह नीचे लटकाकर आती है तो बगल की साफसफाई में तो और दो कदम पीछे हो जाती है। एक तो व्यापारियों की बहस, झगड़ा और वार्ड पार्षद से सांठगांठ नगरपालिका को किसी प्रकार की कार्रवाही करने पर रोक देता है।

इस बार नगरपालिका की कार्रवाही का असर दिखाई दे तो रहा है लेकिन ये असर हर बार की तरह हुआ तो लेनदेन का मामला ही सामने आएगा। जिसके बाद फिर से सभी अवैध व्यापारी पैसा फैको तमाशा देखो का खेल खेलेगे, और नगर फिर से बदहाल हो जाएगा।

नगरपालिका अपने करीबी की एक छोटी सी गली का अतिक्रमण हटाने में जब नाकाम सा प्रतित हो रहा है तो इस बात की पूष्टी होने लगती है कि, अवैध व्यापारियों की अवैध शक्ति ज्यादा है उनकी राजनैतिक ताकत और लेनदेन का हाथ मजबूत है। बताते है कि, वार्ड पार्षद का आत्मिय सहयोग इन अवैध व्यापारियों पर बरकरार है जिसके फलस्वरुप नगरपालिका कार्रवाही के लिए इस ओर मुंह नहीं करती वरन देखकर अनदेखा कर देती है।

हालांकि, नगरपालिका ने जोश दिखाते हुए मांस विक्रेताओं के लाइसेंस के लिए सभी से आवेदन जमा करवाए थे, जिसके बाद स्लाटर हाउस बनाने के लिए हल्ला भी किया गया था, नगरपालिका सीएमओ और नगरपालिका अध्यक्ष प्रतिनिधी एक किसी की नहीं सुन रहे थे और ऐसे प्रतिबंद्ध थे की दो माह में तो स्लाटर हाउस बना ही देंगे किंतु प्रदेश मुखिया के आदेश की अहवेलना कर गए। न तो स्लाटर हाउस बना न ही मांस व्यापारियों का ठीक से कोई ठीकाना हुआ। यहां तक कि, राजनीति की चाल चलते हुए कुछ दिनों पूर्व नगरपालिका ने 25 मांस की दुकानों को छोड़कर सिर्फ पांच दुकानों पर कार्रवाही कर उनको सील कर दिया था जिस पर नगरपालिका सीएमओ अपने नियमों को दिखा कर स्वयं को निष्ठावान अधिकारियों की गिनती में अपने आप को शिर्ष पर रख रहें थे लेकिन जिसके कहने पर जो पांच दुकाने सील की गई थी वो सब खेल राजनीति का था जिसमें लेनदेन का हाथ मजबूत रखा था। पेपर वर्क पर अड़े रहने वाले सीएमओ की कर्तव्य परायणता को ऐसा क्या हुआ की कार्रवाही में ठीलाई हो गई और मांस की दुकाने इस तरह लगने लगी की अब तो रास्ता भी जाम होने लगा है।

बहरहाल एक तीर से दो शिकार करने वाले चतुर खिलाड़ी बिरले ही होते है, अवैध मांस की दुकानो पर कार्रवाही की जाए और व्यापारी और उनके प्रतिष्ठानों पर कार्य करने वाले नौकरो की डीटेल ली जाए तो पुलिस को भी बहुत कुछ प्राप्त हो सकता है।

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