उन भक्तों की कहावत: सावन शुरू होने वाला है कल से सब बंद।
मौसम में परिवर्तन के साथ पावन मास श्रावण की शुरुआत हो गई है, भक्तों द्वारा इस सृष्टि के देवों के देव महादेव की आराधना में लीन हो कर प्रकृति में प्रभु की पूजा करते हैं। एक और ऐसे भक्त भी है जो सिर्फ सावन महीने में ही भक्ति को जागृत करते हैं, गुरुपूर्णीमा से पहले ही मदिरा और मांस का भक्षण करते हैं फिर पूरे सावन शराब के नशे से दूर रहते हैं, वो भक्त भी है जो सबसे पूछते रहते हैं भैया सावन पाल रहे हो या सब चालू है। अधिकत के उत्तर यही होते हैं भाई सावन शुरू होने वाला है कल से सब बंद।
ये तो हुई सामान्य रूप से उन लोगों की बात जिन्होंने भारतीय परम्पराओ को सभ्यता को सिर्फ देखा है। भारतीय संस्कृति के विद्वानों की मानी जाए तो भारतीय ज्ञान परंपरा उत्कृष्ट, महान, सर्व श्रेष्ठ है, यह की सभ्यता में जितना ज्ञान है उतना अधिक विज्ञान भी है। मौसम परिवर्तन के कारण शरीर की पाचन क्षमता में कमी आ जाती है। वहीं वर्षाकाल में शरीर की उपापचय क्रिया भी धीमी हो जाती है शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए श्रावण मास में उपवास आराधना पूजा व्रत रखना चाहिए।
भारतीय सभ्यता के अनुरूप काल की गणना के अनुसार वर्षाकाल के समय श्रावण महीना आता है जिसमें अनेक तथ्य है जो भारतीय रीति पूजन विधि को वैज्ञानिक बताती है। भारतीय संस्कृति सभ्यता में वैज्ञानिकता के और भी किस्से हम आपको आगे बताते रहेंगे।