अतिथि विद्वानों के भविष्य की स्तिथि साफ करें मोहन सरकार

” रात – दिन दिमाग में बनी रहती है असामंजस्यता “

” शोषणकारी नीति ने जिंदगी बर्बाद कर दी “

प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों के अतिथि विद्वानों की धड़कनें लगातार नवीन नियुक्ति, ट्रांसफर और वर्क लोड की पीड़ा से तेज गति से दौड़ रही है। क्योंकि हाल ही में सहायक प्राध्यापक भर्ती 2022 के संस्कृत, पर्यावरण विज्ञान और नृत्य विषय के नियुक्ति आदेश से इन विषयों में कार्यरत अतिथि विद्वान का रोजगार चला जाएगा। इसके बाद अन्य विषयों की तैयारी भी विभाग में चल रही है। लेकिन 25 सालों से चलाई जा रही अतिथि विद्वान व्यवस्था पर सरकार ने अब तक स्तिथि साफ नहीं की है। इन्हीं अतिथि विद्वानों को 11 सितंबर 2023 की पंचायत में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खुलेआम शासन का अंग मानने व सेवा से पृथक नहीं करने की घोषणा की थी।‌ वहीं प्रधानमंत्री कॉलेजों में 616 रिडिप्लायमेंट को खत्म करके इनकी जगह यथावत पदस्थापना देने से भी इनका रोजगार और भविष्य खतरें में है। अनेकों अतिथि विद्वान तो बूढ़े हो गए हैं। उनकी जिंदगी इस शोषणकारी नीति ने बर्बाद कर दी है। सहायक प्राध्यापक भर्ती में जवान लोगों के साथ परीक्षा में बैठाकर कंपीटिशन करवाना कहां तक उचित है। 25 साल बाद भर्तीयां करवाने से लगभग अतिथि विद्वान ओवरएज हो गए हैं । 50 के करीब तो अपने बाल – बच्चें को छोड़कर इस संसार से चले गए हैं। फिर भी उनके परिवार की सुध सरकार ने नहीं ली है।

हरियाणा, बिहार कर्नाटक आदि राज्यों की सरकारें बहुत ही कम अवधि में अतिथि विद्वानों के भविष्य को सुरक्षित कर चुकी हैं। लेकिन मध्य प्रदेश में अब भी ये नेट, सेट, पीएचडी योग्यताधारी अपने भविष्य को लेकर नेताओं की चौखट पर दर – दर भटक रहे हैं।मध्य प्रदेश संयुक्त अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुरजीत सिंह भदौरिया ने इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि – मोहन सरकार अतिथि विद्वानों के भविष्य की स्तिथि साफ करें। हम कब तक ठोकरें खाते रहेंगे। हमारा उद्धार क्यों नहीं किया जा रहा है। गुरु जी, शिक्षाकर्मी, संविदा, आउट सोर्स का भला कर दिया, फिर हम पर दया क्यों नहीं।

संघर्ष मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी शंकरलाल खरवाडिया ने भी इस बारें बताया है कि वर्षों से लगातार सेवा देने के बाद भी रोजगार छीनने का डर रात – दिन मन में बना रहता है। नौकरी की असामंजस्यता के कारण हमारा परिवार भी दुखी रहता है। सरकार कार्यरत अतिथि विद्वानों की सेवा में मजबूती लांए।

One thought on “अतिथि विद्वानों के भविष्य की स्तिथि साफ करें मोहन सरकार

  1. माननीय मुख्यमंत्री जी 20 वर्षों से भी ज्यादा मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार रही परंतु अतिथि विद्वानों का भविष्य सुरक्षित नहीं किया गया प्रधानमंत्री भी भाजपा का मुख्यमंत्री भी भाजपा का सबसे ज्यादा विधायक और मंत्री परिषद भी भाजपा की फिर भी अतिथि विद्वानों की मांगे अभी तक अधूरी क्यों हरियाणा सरकार में अतिथि विद्वानों का नियमितीकरण किया गया परंतु मध्य प्रदेश में क्यों नहीं जबकि संविधान तो एक ही लागू होता है सभी राज्यों पर…… 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🤔🤔🤔😓😓😓

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